


डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के रिश्ते को तहस नहस कर दिया है। अमेरिका के टैरिफ के खिलाफ अब भारत ने भी अपनी प्लानिंग शुरू कर दी है और इसके लिए BRICS की अहमियत अब समझ में आ रही है। पहले जब पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका ब्रिक्स की आलोचना करता था तो लगता था कि शायद वो चीन के खिलाफ बोल रहा है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ ब्रिक्स का मंच जिस तरह से एक डेटरेंस बनकर सामने आया है, उससे अहसास होता है कि आखिर अमेरिका हमेशा से क्यों ब्रिक्स से भड़कता रहा है। ट्रंप ने ब्रिक्स के अहम देशों, भारत, चीन, रूस और ब्राजील के खिलाफ भारी भरकम टैरिफ लगाए हैं और उसके खिलाफ ब्रिक्स एकजुट हो गया है।
डोनाल्ड ट्रंप का तर्क है कि टैरिफ लगाने का फैसला अमेरिका के 'लगातार व्यापार घाटे' को रोकने और डॉलर की ताकत बनाए रखने के लिए जरूरी है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप की यह रणनीति न सिर्फ अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगा सामान खरीदने पर मजबूर करेगी बल्कि वैश्विक साझेदारों को अमेरिका से और दूर करेगा।
डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ BRICS कैसे बना दीवार?
डोनाल्ड ट्रंप ने बार बार BRICS को अमेरिका के खिलाफ बना एक समूह बताया है और अब BRICS ने वाकई अमेरिका को जियो-पॉलिटिकल ताकत का अहसास करवाया है। ट्रंप को डर रहा है कि ब्रिक्स, डॉलर की बादशाहत को चकनाचूर कर देगा और ब्रिक्स के एजेंडे को देखकर ऐसा लगता भी है। हालांकि चीन और रूस तो बहुत पहले से ही ऐसा करना चाह रहे थे, लेकिन भारत ने अपने 'वीटो' से इसे रोक रखा था। ब्रिक्स को निशाना बनाने के लिए ट्रंप ने भारत और ब्राजील पर 50% टैरिफ लगाया, दक्षिण अफ्रीका पर 30% और बाकी देशों को भारी भरकम टैरिफ लगाने की धमकी दी है। ट्रंप का आरोप है कि भारत और चीन, दोनों डॉलर को कमजोर करने की साजिश में शामिल हैं।