


भारत और अमेरिका के बीच इन दिनों दशकों बाद तनातनी अपने चरम पर है। रूस-यूक्रेन युद्ध हो या पाकिस्तान के साथ सीजफायर अमेरिका लगातार भारत विरोधी रुख अपना रहा है। अमेरिका कहना है कि वह यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए भारत पर प्रतिबंध लगा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत के खिलाफ उन्होंने 25 फीसदी का जो सेकेंडरी टैरिफ लगाया जिससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का आकर बातचीत के लिए तैयार हुए। अमेरिका जहां पाकिस्तान के जिहादी सेना प्रमुख असीम मुनीर का स्वागत कर रहा है, वहीं अब भारत के खिलाफ 50 फीसदी का टैरिफ लगा चुका है जो दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा है। इस बीच अमेरिका की दिग्गज कंपनी माइक्रोसाफ्ट ने भारतीय कंपनी नायरा एनर्जी के खिलाफ ऐसा कदम उठाया जिसे एक्सपर्ट 'डिजिटल उपनिवेशवाद' का पहला हमला करार दे रहे हैं।
नायरा एनर्जी-माइक्रोसाफ्ट का संकट मिसाइलों की बारिश के साथ नहीं बल्कि बहुत ही चुपके और सटीक तरीके से आया। भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट तेल रिफाइनरी में शामिल नायरा को अचानक से पता चला कि उसकी माइक्रोसॉफ्ट की सेवाएं बंद हो गई हैं। माइक्रोसाफ्ट ने यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बाद यह सेवाएं बंद कर दी थीं। इस पूरे संकट में अमेरिका ने न तो सेना भेजी और न ही युद्धपोत बस एक ईमेल का नोटिफिकेशन आया और नायरा के कंप्यूटरों का स्क्रीन लॉक हो गया। इससे करोड़ों लीटर तेल साफ करने वाली रिफाइनरी एक तरह से पंगु हो गई।
'डिजिटल उपनिवेशवाद' का भारत को पहला झटका
अब तक समुद्री रास्तों और सीमा के चेकप्वाइंट पर इस तरह के बैन लगाए जाते थे। एक्सपर्ट के मुताबिक अब साल 2025 में भारत को 'डिजिटल उपनिवेशवाद ' का पहला झटका लगा। उनका कहना है कि आर्थिक और राजनीतिक कंट्रोल का इस्तेमाल अब डिजिटल प्लेटफार्म, सेवाओं और आधारभूत ढांचे पर कंट्रोल के लिए किया जा रहा है। नायरा एनर्जी इस समय राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माहौल में काम कर रही है। इस कंपनी में ज्यादा हिस्सा रूस की कंपनी रोसनेफ्ट का है जो पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की मार झेल रही है। यूरोपीय संघ के ताजा प्रतिबंधों के बाद रातोंरात नायरा एनर्जी के कोर बिजनस टूल जैसे ईमेल सर्वर, डाटा एनलिटिक्स आदि तक पहुंच बंद हो गई।