


चीन की ‘चिकन नेक’ के पास बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में अब एयरफील्ड पर नजर है. चीन का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल अगले महीने मई में बांग्लादेश की राजधानी ढाका का दौरा करेगा. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वेंटाओ करेंगे. यह दौरा सिर्फ व्यापारिक बातचीत के लिए नहीं, बल्कि इसके पीछे चीन की एक बड़ी रणनीति छिपी है. चीन अब बांग्लादेश में लालमोनिरहाट हवाई अड्डे में निवेश की योजना बना रहा है, जो भारत की सीमा के बेहद करीब है.
उत्तर-पश्चिम बांग्लादेश में स्थित लालमोनिरहाट हवाई अड्डा भारत की सीमा से बेहद नजदीक है. यह 9 बांग्लादेशी वायु सेना ठिकानों में से एक है. यह बांग्लादेश की उत्तरी सीमा पर स्थित है. एक समय, यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा हुआ करता था. इसे 1931 में एक सैन्य एयरबेस के रूप में बनाया गया था. अगर यहां चीन निवेश करता है, तो यह एक ड्यूल-यूज यानी दोहरे इस्तेमाल वाला एयरबेस बन सकता है.
बांग्लादेश की भूमिका
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार फिलहाल चीन के प्रस्तावों के प्रति काफी सकारात्मक नजर आ रही है. मोहम्मद यूनुस के हालिया बीजिंग दौरे के बाद, बांग्लादेश ने खुद चीन को निवेश का न्योता दिया है. ऐसे समय में जब भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता जल विवाद हल नहीं हो पाया है, चीन का लालमोनिरहाट एयरफील्ड के जरिए घुसना भारत के लिए बड़ा रणनीतिक झटका हो सकता है. इसे लेकर भारत में चिंता बढ़ रही है.
अगर इस एयरफील्ड का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तो यह भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए रणनीतिक खतरा पैदा कर सकता है. यहां से भारतीय क्षेत्रों की निगरानी और त्वरित सैन्य कार्रवाई संभव हो सकती है.