


भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को लेकर किसी बड़ी चिंता से इनकार किया है। उन्होंने IMF और विश्व बैंक की वार्षिक शरदकालीन बैठक के दौरान कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्यतः घरेलू मांग पर आधारित है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक दबावों का असर सीमित रहता है। मल्होत्रा ने यह भी कहा कि वैश्विक घटनाक्रमों का असर झेलना पड़ता है लेकिन यह भारत के लिए कोई गंभीर चुनौती नहीं है।
अस्थिर वैश्विक माहौल में भारत की मजबूती
मल्होत्रा ने कहा कि राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की मैक्रोइकोनॉमिक नींव मजबूत बनी हुई है। उन्होंने उभरती अर्थव्यवस्थाओं को चेताते हुए कहा कि वर्तमान समय में नीतिगत अनिश्चितता एक बड़ा जोखिम है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता से संभावित लाभ
गवर्नर ने यह संकेत भी दिया कि यदि अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता शीघ्र समाधान पर पहुंचती है, तो इससे भारत को रणनीतिक और आर्थिक लाभ मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने भारतीय वार्ता प्रतिनिधियों से मुलाकात की है और दोनों पक्ष व्यावहारिक समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं।
रेपो दर स्थिर, कटौती के लिए समय अभी उपयुक्त नहीं
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 1 अक्टूबर की बैठक में सभी छह सदस्यों ने रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया। मल्होत्रा ने कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति नीतिगत निर्णयों के लिए कुछ लचीलापन देती है लेकिन वर्तमान समय में दर कटौती करना उपयुक्त नहीं होगा क्योंकि इसका वांछित प्रभाव नहीं दिखाई देगा। अगली MPC बैठक 3-5 दिसंबर को प्रस्तावित है।