


वास्तु शास्त्र के सारे बदलाव ऊर्जा को ध्यान में रखकर किये जाते हैं क्योंकि घर की ऊर्जा से घर के परिवारजनों की ऊर्जा जुड़ी होती है। वास्तु में घर के फर्नीचर को खरीदने को लेकर भी कई नियम होते हैं। जैसे कि, मंगलवार, शनिवार और अमावस्या के दिन लकड़ी से बने किसी फर्नीचर को नहीं खरीदना चाहिए। इसके अलावा वास्तु ये भी कहता है कि शीशम, सागौन, नीम, अशोक, सागवान, अर्जुन आदि की लकड़ी फनीर्चर बनवाने के लिए शुभ है, जबकि पीपल, बरगद, चंदन जैसे पेड़ पूजनीय है। इसलिए, इनसे बने फर्नीचर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वास्तु शास्त्र ये भी कहता है कि घर के भीतर हल्के फर्नीचर को हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में और भारी फर्नीचर को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना शुभ होता है। इसी तरह वास्तुशास्त्र में ये भी माना गया है कि घरमें पुराने फर्नीचर खरीदकर कभी नहीं लानी चाहिए क्योंकि पुराने फर्नीचर को खरीदने या उपयोग करने से कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
पुराने फर्नीचर में पूर्व मालिक की ऊर्जा संचित रहती है। यदि फर्नीचर का उपयोग किसी बीमार, परेशान, या आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे व्यक्ति ने किया हो, तो उसकी नकारात्मक ऊर्जा नए स्थान पर आ सकती है और वहाँ के वातावरण को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा कुछ पुराने फर्नीचर में अदृश्य दोष हो सकते हैं, जैसे कि उसमें कीड़े, घुन, या अन्य नकारात्मक तत्व छिपे हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
दुर्भाग्य तथा मानसिक और भावनात्मक प्रभाव
पुराना फर्नीचर यदि किसी अप्रिय घटना, विवाद, या दुर्घटना से जुड़ा हो, तो यह दुर्भाग्य को बढ़ा सकता है। इससे परिवार में मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याएँ, और आपसी मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं। यदि फर्नीचर किसी अस्पताल, शोकग्रस्त घर, या नकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान से आया है, तो यह नए घर के लोगों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है और जीवन में तनाव और अवसाद बढ़ा सकताहै।
वास्तु दोष
यदि फर्नीचर का आकार, बनावट या दिशा वास्तु सिद्धांतों के अनुसार न हो, तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है। गलत दिशा में रखा गया फर्नीचर घर के सदस्यों के स्वास्थ्य, समृद्धि और संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
क्या करें यदि पुराना फर्नीचर रखना आवश्यक हो?
वास्तु शास्त्र के अनुसार भले ही पुराने फर्नीचर से नकारात्मक ऊर्जा का खतरा होता है, लेकिन यदि खरीदना आवश्यक हो, तो उचित शुद्धिकरण और सही दिशा में रखने से इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। यदि आपको मजबूरी में पुराना फर्नीचर रखना हो, तो आप उस फर्नीचर का गंगाजल या समुद्री नमक से शुद्धिकरण करें। घर में कभी भी टूटा फर्नीचर ना लायें और अगर फर्नीचर टूटा हुआ है, तो उसकी मरम्मत करवा लें और उसमें नया रंग और पॉलिश कराएं। ऊर्जा के लिए नीम की पत्तियाँ या कपूर जलाकर आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करें। फर्नीचर को सही दिशा में रखें, जैसे कि बेड, टेबल आदि को दक्षिण-पश्चिम में रखना शुभ माना जाता है।