बस्तर को 'लाल आतंक' से मिली आजादी, 29 गांवों में पहली बार लहराया तिरंगा
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के कई ऐसे दुर्गम इलाके थे, जहां पुलिस और प्रशासन की पहुंच नहीं थी और नक्सलियों का बोलबाला था। इन क्षेत्रों में वर्षों तक लाल आतंक का राज रहा। लेकिन बीते कुछ महीनों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के मजबूत गढ़ों में घुसकर अपने कैंप स्थापित किए हैं। ऐसे ही 29 गांवों में इस बार स्वतंत्रता दिवस का पर्व पहली बार धूमधाम से मनाया गया।


Ramakant Shukla
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छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के कई ऐसे दुर्गम इलाके थे, जहां पुलिस और प्रशासन की पहुंच नहीं थी और नक्सलियों का बोलबाला था। इन क्षेत्रों में वर्षों तक लाल आतंक का राज रहा। लेकिन बीते कुछ महीनों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के मजबूत गढ़ों में घुसकर अपने कैंप स्थापित किए हैं। ऐसे ही 29 गांवों में इस बार स्वतंत्रता दिवस का पर्व पहली बार धूमधाम से मनाया गया।
इन गांवों में पहली बार हुआ ध्वजारोहण
बीजापुर जिले में: कोण्डापल्ली, जिड़पल्ली, जिड़पल्ली-2, वाटेवागु, कर्रेगुट्टा, पीड़िया, गूंजेपरति, पुजारी कांकेर, भीमाराम, कोरचोली, कोटपल्ली।
नारायणपुर जिले में: होरादी, गारपा, कच्चापाल, कोडलियार, कुतुल, बेड़माकोटी, पदमकोट, कंदुलनार, नेलांगुर, रायनार, पांगुर।
सुकमा जिले में: तुमालपाड़, रायगुड़ेम, गोल्लागुंडा, गोमगुड़ा, मेटागुड़ा, उसकवाया, नुलकातोंग।
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