


जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उच्च गुणवत्ता वाले फॉरेस्ट्री ट्रीज तैयार करने में सफलता हासिल की है। ये तेजी से बढ़ेंगे। कार्बन डाईऑक्साइड ज्यादा अवशोषित करेंगे। इससे न केवल जंगलों को तेजी से तैयार करने में मदद मिलेगी, बल्कि किसानों को भी लाभ मिलेगा।
तीन विभाग मिलकर कर रहे काम
वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसे फॉरेस्ट ट्रीज ज्यादा प्रतिरोधी क्षमता के साथ ही हर मौसम के लिए अनुकूल साबित होंगे। फॉरेस्ट नर्सरी में तीन विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। इसके तहत करीब 10 हजार पौधों को तैयार किया जा रहा है। इनमें बांस, शीशम, खमेर सहित कई महत्त्वपूर्ण प्रजातियां शामिल हैं। यह न केवल किसानों के लिए आय का नया स्रोत बनेंगे, बल्कि जंगलों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।
फॉरेस्टी ट्री की खासियत
तैयार किए जा रहे पौधों की खासियत है कि इनमें कार्बन सोखने की क्षमता ज्यादा है। ये पेड़ वायुमंडल से अधिक मात्रा में कार्बन सोखते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण कम करने में मदद मिलती है। रूट ट्रेनिंग तकनीक से जड़ें गहरी और मजबूत बनती हैं। इससे पानी कम लगता है। टिश्यू कल्चर और चयनित बीजों से पौधे अधिक स्वस्थ और लंबे समय तक जीवित रहते हैं। इस कारण किसानों को पानी, खाद और देखभाल पर कम खर्च करना पड़ता है।