


प्रदेश की राजधानी भोपाल में "पर्यावरण से समन्वय" विषय पर एक उच्च स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के पर्यावरण और निर्माण क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, इंजीनियरों और नीति-निर्माताओं ने भाग लिया। यह कार्यशाला लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य निर्माण गतिविधियों में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना रहा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि, सरकार इस कार्यशाला में आए उपयोगी सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगी और उन्हें लागू करने की दिशा में कदम उठाएगी।" मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को सलाह दी कि अब वक्त आ गया है कि "लोक निर्माण को लोक कल्याण" से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य केवल संरचना खड़ी करना नहीं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के साथ तालमेल बिठाकर काम करना होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा: "जहां जैसी मिट्टी हो, वहां उसी के अनुकूल सड़क का निर्माण हो। जैसे काली मिट्टी वाले क्षेत्रों में सीमेंट-कंक्रीट की सड़कें अधिक टिकाऊ होती हैं, ऐसे में वहाँ वही तकनीक अपनाई जाए।"
राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की भागीदारी
इस कार्यशाला में देश के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यावरण विशेषज्ञों, सिविल इंजीनियरों, शहरी नियोजन विशेषज्ञों और निर्माण क्षेत्र के अनुभवी प्रोफेशनल्स ने भाग लिया। कार्यशाला में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन, जल संरक्षण, मिट्टी की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर चर्चा हुई।
मुख्य बिंदु-
- मुख्यमंत्री ने दिए निर्माण-पर्यावरण समन्वय के स्पष्ट निर्देश
- क्षेत्र विशेष की मिट्टी के अनुसार सड़क निर्माण का सुझाव
- सुझावों को लागू करने पर गंभीरता से विचार करेगी सरकार
- कार्यशाला में देशभर से आए विशेषज्ञों ने साझा किए नवाचार
- पर्यावरण के अनुकूल निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने का आह्वान।