


चाय बगान कौसानी और काश्तकारों पर रोजगार का संकट मंडराने लगा है। काश्तकारों कि चाय बागान भूमि को वापिस करने से उनकी रोजी रोटी पर खतरा पैदा हो गया है। चाय बागान के काश्तकारों ने चाय बोर्ड पर गुप चुप तरीके से काम करने व काश्तकारों व खेत मालिकों को भरोसे में नही लेने का आरोप लगाते हुए रोजगार के अवसर बढाये जाने कि अपील की है।
काश्तकारों की अपील
कौसानी चाय बागान बोर्ड द्वारा लगातार लौबांज के काश्तकारों कि चाय बागान भूमि को वापिस किया जा रहा है साथ ही काश्तकारों कि संख्या और दिनों को भी कम किया गया है। कौसानी चाय बागान के काश्तकारों को पहले 28 दिन काम मिलता था। अब 13 दिन में सिमटा दिया गया है। जिससे काश्तकारों में दो जन कि रोटी का संकट खड़ा हो गया है। चाय बोर्ड कौसानी और काश्तकारों के बीच तहसील स्तर पर हुये करारनामे के उलट बिना किसी पूर्व सूचना के ग्रामीणों कि जमीनों को चाय बोर्ड द्वारा वापिस किया गया है। चाय बागान के काश्तकारों ने चाय बोर्ड पर गुप चुप तरीके से काम करने व काश्तकारों व खेत मालिकों को भरोसे में नही लेने का आरोप भी लगाया है। कौसानी चाय बोर्ड से रोजगार छिनने के बाद ग्रामीण पलायन को मजबूर है। प्रदेश सरकार से फरियाद लगाते हुए लौबांज के काश्तकारों ने कौसानी चाय बागान मे पुनः रोजगार के अवसर बढाये जाने कि अपील की है।