

आज हर इंटरनेट यूजर घिबली स्टाइल में इमेज बनाने ही होड़ में है। लोग अपनी घिबली इमेज बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। आज इस आर्ट को इंटरनेट पर लोकप्रिय करने में चैटजीपीटी, गूगल जेमिनी और मेटा एआई जैसे एआई टूल्स की अहम भूमिका है। लेकिन बता दें कि घिबली आर्ट के फाउंडर ने एक बार एआई जनरेटेड तस्वीरों को लेकर बेहद कड़ी आलोचना की थी और इसे जीवन का अपमान बताया था। आइए जानते हैं स्टूडियो घिबली (Studio Ghibli) के फाउंडर ने ऐसा क्यों कहा था।
घिबली आर्ट के फाउंडर हैं मियाजाकी हयाओ
आज घिबली आर्ट जिस वजह से जाना जाता है उसका श्रेय स्टूडियो घिबली को जाता है। स्टूडियो घिबली ने ही इस कला को तस्वीरों में उतारकर असल दुनिया में लाने का काम किया था। इस स्टूडियो की शुरुआत 1985 में जापान में मियाजाकी हयाओ, इसाओ ताकाहाटा, तोशियो सुजुकी, यासुयोशी तोकुमा ने की थी। आपने जापानी 'एनिमी' का नाम तो जरूर सुना होगा और इसे कई कार्टून्स में भी देखा होगा? घिबली एक तरह की जापानी कला है जिसमें एनिमी कैरेक्टर्स को तस्वीरों में उतारा जाता है। स्टूडियो घिबली की सबसे अगल बात यह थी कि यहां पर एनिमेटर्स इन तस्वीरों को कंप्यूटर से नहीं बल्कि हाथों से बनाते थे। जिसके बाद इन तस्वीरों को क्रम में रखकर एनिमेशन तैयार किया जाता था। लगभग 40 साल बाद आज भी इस स्टूडियो में घिबली एनिमेशन को हाथों से बनाए गए तस्वीरों से ही तैयार किया जा रहा है। आज के इस आधुनिक युग में जहां एनिमेशन अब कंप्यूटर से तैयार किए जा रहे हैं, वहीं इस हैंड मेड आर्ट को आज भी जीवित रखने में इसके को-फाउंडर मियाजाकी हयाओ (Miyazaki Hayao) का योगदान है। अपनी एनिमेटेड फिल्मों के अलावा, वह एक मंगा (Manga) कलाकार भी हैं, जिन्हें विशेष रूप से मंगा श्रृंखला 'नौसिका ऑफ द वैली ऑफ द विंड के लिए जाना जाता है, जिस पर उन्होंने 1982 से 1984 तक काम किया, साथ ही अन्य एनिमेटेड फिल्मों जैसे 'हिकोतेई जिदाई' और 'पोर्को रोसोपर' पर भी काम किया। एनिमेटर और फिल्म निर्माता मियाजाकी हयाओ ने ‘स्पिरिटेड अवे’ (Spirited Away), ‘माय नेबर टोटरो’ (My Neighbor Totoro), ‘प्रिंसेस मोनोनोके’ (Princess Mononoke) जैसी कालजयी फिल्में दी हैं, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती हैं। लेकिन एआई के बढ़ते प्रभाव को लेकर वह नाराज हैं। हाल ही के दिनों में घिबली तस्वीरों के वायरल होने के बाद एनिमेटर मियाजाकी हयाओ की एआई पर दी गई प्रतिक्रिया भी वायरल होने लगी। उनका एक वीडियो इंटरनेट पर खूब शेयर किया जा रहा है जिसमें वह एआई जनरेटेड एनिमेशन (AI-generated animation) के प्रति खासे नाराज दिख रहे हैं। खबरों के मुताबिक यह वीडियो 2016 का है जिसमें वह एआई की आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि यह ‘जीवन का अपमान’ (Insult to Life Itself) है और इस तरह के कंटेंट को देखकर उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं होती। मियाजाकी कहते हैं, “मैं इस तरह की चीजें देखकर रोमांचित नहीं हो सकता। इसे बनाने वाले लोग दर्द की भावना को नहीं समझते। मैं इसे लेकर बेहद निराश हूं और कभी भी अपनी कला में इस तकनीक को अपनाना नहीं चाहूंगा। मेरे हिसाब से यह जीवन का अपमान है। वह मानते हैं कि कला का असली सार तभी झलकता है जब इंसान अपने अनुभवों, दर्द, खुशी और संवेदनाओं को चित्रों और कहानियों में उतारता है। लेकिन एआई आधारित एनीमेशन इस गहराई से कोसों दूर है.
एआई बनाम टैलेंट
AI के बढ़ते उपयोग को लेकर दुनियाभर में बहस जारी है। कुछ लोग इसे क्रिएटिव इंडस्ट्री में क्रांति मानते हैं, तो कुछ इसे कला के लिए खतरा बताते हैं। मियाजाकी जैसे कलाकारों का मानना है कि एआई कभी भी इंसानी भावनाओं को नहीं समझ सकता और इसलिए वह असली आर्ट से पीछे रह जाएगा।