


हिमाचल प्रदेश में पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश ने प्रदेश के कई इलाकों में भयंकर तबाही मचा दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मनाली, कांगड़ा और चंबा जैसे इलाकों में भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रशासन को जैसे ही जानकारी मिली, तुरंत लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा, "जितना आर्थिक नुकसान हिमाचल को हुआ है, उसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। यह चिंता का विषय है और हमें इससे निपटने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे।
विक्रमादित्य सिंह का बयान: तीन दिन में 550 करोड़ का नुकसान
प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि बीते तीन दिनों में ही 550 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि कुल नुकसान की राशि 1400 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि कुल्लू और मनाली में कई सड़कें और पुल बह गए हैं, जिससे संपर्क मार्ग बाधित हो गया है।
उन्होंने कहा, "हम स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं। NHAI और PWD के अधिकारियों के साथ बैठक की जा रही है, ताकि पुनर्निर्माण कार्य जल्द शुरू हो सके।
जलवायु परिवर्तन को बताया गया तबाही का कारण
सीएम और मंत्री दोनों ने इस आपदा के पीछे जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका मानना है कि न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत में ऐसी घटनाएं अब लगातार बढ़ रही हैं। यह वक्त है जब पर्यावरण और आपदा प्रबंधन नीतियों में बदलाव जरूरी हो गया है। सरकार ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में आपदा प्रबंधन, इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग, और पर्यावरणीय सुरक्षा से जुड़ी नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। साथ ही स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है और राहत कार्यों को तेज़ किया जा रहा है।