


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कई अहम बातें रखीं। कार्यक्रम का विषय था: “100 वर्ष की संघ यात्रा : नए क्षितिज”, जिसमें उन्होंने संघ की भूमिका, पहचान और भारतीयता के मूल तत्वों पर चर्चा की।
हमारा DNA 40,000 वर्षों से एक जैसा है – भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा - हिंदवी, भारतीय और सनातन – ये सभी एक ही अर्थ को दर्शाते हैं। हमारा डीएनए पिछले 40,000 वर्षों से एक जैसा है। इस बयान के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि भारत की सांस्कृतिक और जैविक पहचान एकता के सूत्र में बंधी है, जिसे समय और बाहरी प्रभावों से बदला नहीं जा सकता।
संघ पर चर्चा फैक्ट्स के आधार पर हो, परसेप्शन के नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा - ने ज़ोर देते हुए कहा कि संघ के बारे में जो भी चर्चा हो, वह कल्पनाओं और धारणाओं पर नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए । संघ पर कई बातें कही जाती हैं, लेकिन चर्चा सिर्फ भावनाओं या धारणाओं पर नहीं, तथ्यात्मक आधार पर होनी चाहिए।
हिंदवी, भारतीय और सनातन – एक ही संस्कृति के रूप
संघ प्रमुख ने भारतीयता को परिभाषित करते हुए कहा कि हिंदवी, भारतीय और सनातन शब्द कोई अलग-अलग पहचान नहीं, बल्कि एक ही मूल संस्कृति के विभिन्न नाम हैं। यह बयान भारत की विविधता में एकता की परिकल्पना को और भी स्पष्ट करता है। डॉ. भागवत ने इस मौके पर संघ की 100 साल की यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे यह संगठन सामाजिक समरसता, राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए कार्य करता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में संघ की भूमिका और भी व्यापक और गहन होगी।