


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि सच्चा धर्म वह है जिसमें हम सभी के साथ अपनेपन का व्यवहार करें, और समाज की विविधताओं को सौहार्दपूर्वक स्वीकारें। वे ‘लोकहितकारी काशीनाथ – स्मारिका विमोचन समारोह’ में बोल रहे थे। मोहन भागवत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा - वास्तविक धर्म सभी के साथ अपनत्व का व्यवहार करने और विविधताओं को सौहार्दपूर्वक आगे बढ़ाने में निहित है। उन्होंने कहा कि धर्म कोई कर्मकांड या संकीर्ण सोच नहीं, बल्कि सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय का मार्ग है।
शिवाजी जैसे बनने से डरने की नहीं, प्रेरणा लेने की जरूरत है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि, लोग सोचते हैं कि वे शिवाजी महाराज जैसी महान हस्ती नहीं बन सकते। लोगों को लगता है कि अगर कोई शिवाजी जैसा बने, तो वह पड़ोसी के घर में हो, अपने घर में नहीं। जबकि हमें अपने घर में, अपने भीतर ही वह अच्छाई पैदा करनी है। एक अच्छा इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए, अपने परिवार और समाज को खुश रखना चाहिए।
RSS की ताकत – सेवा और समर्पण
मोहन भागवत ने संघ के विस्तार और शक्ति पर भी बात की। उन्होंने कहा - RSS की ताकत उन स्वयंसेवकों में है जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बावजूद सेवा, त्याग और समर्पण से संगठन को आगे बढ़ाया। उन्होंने स्वयंसेवकों की संघर्षशीलता और सामाजिक समर्पण को संघ की नींव बताया। मोहन भागवत का यह वक्तव्य बताता है कि संघ का दृष्टिकोण केवल वैचारिक नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और व्यक्तिगत विकास पर भी आधारित है। उनका संदेश है कि धर्म का असली रूप अपनत्व, सहिष्णुता और सामाजिक एकता में निहित है।