


खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वालों के लिए आने वाला वीकएंड खास होने जा रहा है। दुनियाभर के स्काईवॉचर इस साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का जादू देखने के लिए तैयार हैं। साल का बहुप्रतीक्षित आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगने वाला है। यह आगामी ग्रहण विशेष महत्व रखता है। यह ग्रहण ठीक उस समय लगेगा, जब दुनियाभर में दिन और रात तकरीबन बराबर समय के होते हैं। हालांकि रात का समय होने की वजह से यह भारत में नहीं दिखेगा।
21 सितंबर के सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेगा। इससे एक शानदार नजारा बनेगा। हालांकि पूरी तरह से अंधेरा नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण खासतौर से दक्षिणी गोलार्ध में दिखाई देगा। न्यूजीलैंड, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों और अंटार्कटिका के क्षेत्रों में इसका सबसे अच्छा दृश्य दिखाई देगा। इन क्षेत्रों में चंद्रमा सूर्य के 72 फीसदी तक हिस्से को ढक लेगा। इससे सूर्य आसमान में रहस्यमयी अर्धचंद्राकार चमक से भर जाएगा।
क्यों होता है सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण का होना एक वैज्ञानिक घटना है। सूर्य ग्रहण तब होता है, जब अमावस्या पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाती है, जिससे पृथ्वी की सतह के कुछ हिस्सों पर छाया बनती है। यह सूर्य ग्रहण सितंबर के आखिरी दिनों में पड़ रहा है। यह ऐसा समय है, जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। यह संयोग इस सूर्य ग्रहण में लोगों की दिलचस्पी को और बढ़ा रहा है।
इस सूर्य ग्रहण को भारत और उत्तरी गोलार्ध के देश नहीं देख सकेंगे। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान में सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा। दक्षिण और उत्तरी अमेरिका के महाद्वीपों में भी ये आंशिक सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा। दक्षिणी गोलार्ध के समुद्री क्षेत्रों और छोटे द्वीपीय देशों में इस सूर्य ग्रहण का सबसे अच्छा दृश्य दिखाई देगा।