अनंत को विज्ञान की कसौटी से परखने की नासमझी
ज्ञान मतलब सब कुछ जानने की क्षमता यानी जिसके बाद कुछ भी जानना शेष न रह जाए। ज्ञान केवल चेतना ही नहीं, प्रकृति के भी रहस्य उजागर कर देता है, क्योंकि ज्ञानी सृष्टि की बुद्धिमत्ता के साथ अपना संपर्क साध लेते हैं।
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Sanjay Purohit
Created AT: 31 जनवरी 2025
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ज्ञान मतलब सब कुछ जानने की क्षमता यानी जिसके बाद कुछ भी जानना शेष न रह जाए। ज्ञान केवल चेतना ही नहीं, प्रकृति के भी रहस्य उजागर कर देता है, क्योंकि ज्ञानी सृष्टि की बुद्धिमत्ता के साथ अपना संपर्क साध लेते हैं। प्रकृति के रहस्यों को उजागर करना विज्ञान है, और प्रकृति सहित पुरुष के रहस्यों को जानना ज्ञान। विज्ञान में आप बाहर, प्रकृति में खोज करते हैं और ज्ञान में अपने ही भीतर चेतना की खोज। विज्ञान साकार की खोज है तो ज्ञान निराकार की।

वैज्ञानिक आत्मा को नहीं जान सकते, लेकिन आत्मा को जानने वाले हमेशा से सृष्टि को जानते आए हैं। प्रकृति में ऐसी कोई भी खोज नहीं जिसको बाद में बेहतर न किया गया हो। ऐसा कोई भी मोबाइल फोन नहीं, जिसको और बेहतर न बनाया गया हो। विज्ञान को जितना भी जान लीजिए, आने वाली नई खोजें आपकी जानकारियों को पुरानी बनाती चली जाएंगी।

इसलिए वैज्ञानिक अपने को हमेशा अपडेट रखते हैं ताकि कहीं पिछड़ न जाएं। लेकिन ज्ञानी हमेशा नित नूतन रहते हैं, क्योंकि हजारों साल पहले जो ज्ञान था, वह आज भी अपडेटेड है। प्रकृति का ज्ञान बदलता रहता है, लेकिन चेतना का ज्ञान कभी नहीं बदलता। ज्ञान के जरिए अज्ञान और विज्ञान, दोनों को जाना जासकता है।


ज्ञान से विज्ञान को देखेंगे तो सभी रहस्य खुल जाएंगे, लेकिन विज्ञान के नजरिए से केवल उसी की जानकारी मिलती है, जो आज खोजा गया है। अनंत को विज्ञान की कसौटी से नहीं समझा जा सकता। हां, ज्ञान से अनंत संभावनाओं की ओर जाने में मदद मिलती है। विज्ञान 'क्या' और 'कैसे' की व्याख्या करता है, लेकिन 'क्यों' पर जाकर अटक जाता है, जैसे ब्रह्मांड क्यों बना और उसका विस्तार क्यों हो रहा है।

'क्यों' का उत्तर पाने के लिए हमें ब्रह्मांड के आधार ब्रह्म को जानना होगा। जहां विज्ञान जाकर खत्म होता है, वहां से ब्रह्म ज्ञान आरंभ होता है। भारतीय परंपरा में ब्रह्म ज्ञान हमेशा विज्ञान सहित दिया जाता है। गीता में कृष्ण कहते हैं, 'अति गोपनीय ज्ञान को विज्ञान सहित कहता हूं।' यदि विज्ञान के छात्र को विज्ञान के साथ-साथ ज्ञान भी सिखाया जाए, तो उसका नजरिया विस्तृत हो सकता है, और वह पूर्णता का अनुभव कर सकता है।

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