


हिंदू धर्म में श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना गया है। इस मास में विशेष रूप से सोमवार के दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और रुद्राभिषेक के द्वारा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। रुद्राभिषेक केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा जागरण, मानसिक शांति और जीवन में संतुलन लाने का एक सशक्त साधन है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था। उस विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाया था। उसी परंपरा से आज तक श्रावण मास में रुद्राभिषेक किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मास में भगवान शिव अत्यंत सरल भाव से अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
श्रावण में रुद्राभिषेक करने से साधक के जीवन से रोग, शोक, आर्थिक कष्ट और ग्रहदोष शांत होते हैं। विशेष रूप से कालसर्प दोष, पितृ दोष और शनि पीड़ा के निवारण के लिए रुद्राभिषेक अत्यंत प्रभावकारी माना गया है। यही कारण है कि सावन के महीने में शिवमंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ विशेष रूप से रुद्राभिषेक के लिए उमड़ पड़ती है।
रुद्राभिषेक की विधि
श्रावण मास में रुद्राभिषेक करने की विधि अत्यंत सरल और प्रभावकारी होती है। प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित कर उसे शुद्ध किया जाता है। इसके बाद दूध, दही, घृत, शहद और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत के बाद पुनः गंगाजल से स्नान कराकर बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद पुष्प आदि अर्पित करें। अभिषेक के समय ऊँ नमः शिवाय, शिव पंचाक्षरी मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहना चाहिए। अंत में दीप प्रज्वलित कर भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद वितरण करें। रुद्राभिषेक करते समय मन में पूरी श्रद्धा और एकाग्रता रखनी चाहिए, तभी उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से लाभ
रुद्राभिषेक के दौरान रुद्र मंत्रों के उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक कंपन उत्पन्न होते हैं, जो मानसिक तनाव को कम करने और आत्मशांति देने में सहायक होते हैं। शिवलिंग पर बहते हुए जल और पंचामृत से वातावरण में शुद्धता आती है। इसे एक प्रकार की ऊर्जा चिकित्सा भी कहा जा सकता है, जिसे आजकल वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं।
श्रावण मास में रुद्राभिषेक करना भगवान शिव की कृपा और जीवन में सुख-शांति पाने का सर्वोत्तम मार्ग है। यह साधना केवल पूजा या परंपरा नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन, समृद्धि और अध्यात्म का अनुभव कराने वाली प्रक्रिया है। जो भी व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक श्रावण मास में रुद्राभिषेक करता है, उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन से बाधाएं दूर होती हैं। इसीलिए कहा गया है कि श्रावण में रुद्राभिषेक करने वाला साधक इस लोक और परलोक दोनों में कल्याण प्राप्त करता है।