


सावन का महीना बहुत शुभ और पावन महीना होता है। इस माह में भोलेनाथ की आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। लेकिन यह बात जानना बहुत जरूरी है शिवलिंग की पूजा सही ढंग से की जाएं तभी उसका लाभ प्राप्त होता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लाभ
1. धार्मिक दृष्टिकोण: पापों का क्षय
हिंदू धर्म में मान्यता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह आत्मा को शुद्ध करता है और मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।
2. मन की शांति और मानसिक संतुलन
जल का स्वभाव शीतल होता है। जब आप शिवलिंग पर ठंडा जल या गंगाजल चढ़ाते हैं, तो यह आपके भीतर की आंतरिक अशांति को शांत करता है और तनाव दूर करता है।
3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
शिवलिंग पर जल अर्पण से घर और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा हटती है। यह एक प्रकार की ऊर्जा सफाई (spiritual cleansing) है, जो वातावरण को सकारात्मक बनाती है।
4. स्वास्थ्य लाभ
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, सुबह-सुबह उठकर शुद्ध जल से शिवलिंग पर अभिषेक करने से शरीर में एकाग्रता, जागरूकता और आत्मविश्वास बढ़ता है। इससे हार्मोन बैलेंस भी बेहतर हो सकता है।
5. पारिवारिक सुख और वैवाहिक शांति
मान्यता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
6. सौर ऊर्जा और पंचतत्व संतुलन
शिवलिंग पंचतत्व (जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी, आकाश) का प्रतीक है। जल चढ़ाने से शरीर में इन तत्वों का संतुलन सुधरता है, जो योग और आयुर्वेद के अनुसार ज़रूरी है।
क्या चढ़ाना चाहिए?
- जल (गंगाजल श्रेष्ठ माना गया है)
- कच्चा दूध
- शहद, दही, घी (पंचामृत में)
- बेलपत्र, भस्म, सफेद फूल
- धतूरा, आक का फूल (विशेष अवसरों पर)
क्या न करें?
- तांबे के बर्तन से दूध न चढ़ाएं
- तुलसी पत्र कभी न चढ़ाएं
- शिवलिंग पर सिंदूर न चढ़ाएं
- जल चढ़ाते समय नंगे पैर रहें
मंत्र क्या बोलें जल चढ़ाते समय?
"ॐ नमः शिवाय" — इस पंचाक्षरी मंत्र को जल अर्पण करते समय 108 बार जपें।
"शिवाय नमः" — शांत मन से बोला गया यह मंत्र तुरंत सकारात्मक ऊर्जा देता है।