


19 मार्च 2025 की सुबह, अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों से पृथ्वी की ओर लौटते हुए एक क्षण ऐसा आया जब हर किसी की सांसें थम गईं। भारतीय मूल की मशहूर अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, अपने साथी बुच विल्मोर और दो अन्य यात्रियों के साथ, नौ महीने के लंबे अंतरिक्ष प्रवास के बाद घर वापसी के लिए निकली थीं। स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी तक ला रहा था, अपनी 17 घंटे की यात्रा में एक ऐसे पड़ाव पर पहुंचा जहां सब कुछ अनिश्चित हो गया। यह वो 10 मिनट थे, जब कैप्सूल से संपर्क टूट गया, और यह आग के गोले जैसा तब्दील हो गया। लेकिन फिर, विज्ञान, तकनीक और मानवीय संकल्प की ताकत ने एक बार फिर चमत्कार कर दिखाया।
वापसी की यह यात्रा अपने आप में एक रोमांचक और जोखिम भरा अध्याय थी। जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल हुआ, उसकी रफ्तार 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। वायुमंडल के घर्षण से कैप्सूल की बाहरी सतह 3,500 डिग्री फारेनहाइट तक तपने लगी। बाहर से देखने वालों के लिए यह एक चमकता हुआ आग का गोला था, जो आसमान को चीरता हुआ नीचे आ रहा था। लेकिन अंदर, सुनीता और उनके साथी सुरक्षित थे, क्योंकि कैप्सूल की हीट शील्ड टाइल्स ने इस भीषण गर्मी को अवशोषित कर लिया।
जब 10 मिनट के लिए टूटा संपर्क
फिर आया वह दिल दहला देने वाला पल। करीब 10 मिनट के लिए, कैप्सूल से नासा के मिशन कंट्रोल का संपर्क टूट गया। यह वह समय था जब कैप्सूल वायुमंडल की मोटी परतों से गुजर रहा था, और आयनमंडल के प्लाज्मा ने रेडियो सिग्नल्स को अवरुद्ध कर दिया। धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सुनीता के चाहने वालों की निगाहें स्क्रीन पर टिकी थीं। हर सेकंड एक अनंत काल की तरह लग रहा था। क्या कैप्सूल सही दिशा में था? क्या यह सुरक्षित लैंड कर पाएगा? सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था।
यह 10 मिनट सिर्फ एक तकनीकी अंतराल नहीं थे, बल्कि मानव साहस, विज्ञान की शक्ति और उम्मीद की जीत का प्रतीक बन गए। सुनीता विलियम्स की यह वापसी न केवल एक अंतरिक्ष यात्री की घर वापसी थी, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा थी जो असंभव को संभव बनाने में यकीन रखता है।