


भारत को चांद के साउथ पोल पर कदम रखने वाला पहला देश बनाने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साइंटिस्ट का सामना ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्य हुआ है। एक ऐसा रहस्य जिन्हें जानने के बाद हर कोई हैरानी में पड़ सकता है। दरअसल ISRO के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की एक टीम ने ब्लैक होल का अध्ययन करते हुए कुछ अनोखी बातें बताई हैं। उन्होंने GRS 1915+105 नाम के एक ब्लैक होल की एक्स-रे चमक में बदलाव देखा। ये चमक कभी कम होती है, तो कभी ज्यादा। कम चमक वाला पल कुछ सेकंड तक रहता है, फिर ज्यादा चमक वाला प्रोसेस होता है।
भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला, एस्ट्रोसैट, 2015 से इस ब्लैक होल पर नजर रख रही है। इससे ब्लैक होल के बारे में नई जानकारी मिल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये खोज ब्लैक होल के आसपास की स्थितियों को समझने में मदद करेगी। ISRO के अनुसार, GRS 1915+105 एक 'कॉस्मिक लैबट की तरह है। एस्ट्रोसैट की मदद से भारतीय वैज्ञानिक इस ब्लैक होल की हर छोटी बड़ी हलचल को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
बहुत ताकतवर होते हैं ब्लैक होल
ब्लैक होल ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमय हिस्से हैं। उन्हें सीधे नहीं देखा जा सकता, लेकिन उनके गुरुत्वाकर्षण से उनकी मौजूदगी का पता चलता है। ब्लैक होल बड़े तारों के मरने के बाद बनते हैं। ये तारे अपना ईंधन खत्म कर देते हैं और फिर ढह जाते हैं। ब्लैक होल इतने शक्तिशाली होते हैं कि उनसे प्रकाश भी नहीं बच सकता।
बहुत कुछ सीख रहे हैं साइंटिस्ट
ब्लैक होल को सीधे देखना मुमकिन नहीं है। लेकिन, जब वे किसी तारे से पदार्थ खींचते हैं, तो वे एक्स-रे छोड़ते हैं। इन एक्स-रे को पकड़कर वैज्ञानिक ब्लैक होल के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। GRS 1915+105 एक ऐसा ब्लैक होल है जो वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के बारे में नई बातें सिखा रहा है।