


इंसान का हौसला अगर बुंलद और मजबूत हो तो विपरीत हालात भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते. बुलंद हौसले और मजबूत इरादों से इंसान कोई भी लक्ष्य हालिस करता है. विपरीत हालातों में हासिल की गई सफलता समाज और राज्य के लिए प्रेरणा बनती है. ऐसी ही सफलता की एक मिसाल पेश की है केरल की गोपिका गोविंद ने गोपिका ने सपने देखे और उसको साकार करने में राह में जो मुश्किले आईं उसका भी सामना किया. गोपिका गोविंद ने केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेस बनकर इतिहास रच दिया. यह उनकी उपलब्धि भर नहीं, बल्कि केरल के लिए भी गौरव का विषय है. गोपिका का जन्म केरल के अलाकोड़े के पास कावुनकुडी के एसटी कॉलोनी में हुआ था. उनके माता-पिता पी. गोविंदन और वी.जी. जो दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे. गोपिका करिम्बा जनजातीय समुदाय की एक युवती हैं.
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
गोपिका ने वायनाड के कलपेटा स्थित ड्रीम स्काई एविएशन ट्रेनिंग अकादमी में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया. गोपिका का पहले प्रयास में चयन नहीं हो सका, लेकिन गोपिका ने उम्मीद नहीं छोड़ी. उनको दूसरे प्रयास में सफलता मिली. तीन महीने के प्रशिक्षण के बाद गोपिका ने कन्नूर से खाड़ी देश के लिए अपनी पहली उड़ान भरी.