


अवैध कॉलोनी पर रेरा पंजीयन क्रमांक का ब्रेक लगाने की तैयारी है। राजस्व विभाग जमीनों में धोखाधड़ी रोकने एक बार फिर से रजिस्ट्री में रेरा पंजीयन नंबर को अनिवार्य करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। शासन से मंजूरी के बाद नोटिफिकेशन कर लागू कर दिया जाएगा। इससे बिना रेरा पंजीयन नंबर की विकसित कॉलोनियां, निर्माण की रजिस्ट्री पर लगभग रोक लग जाएगी। रजिस्ट्री के लिए संपदा 2.0 में आधार अनिवार्य करने के बाद रेरा की अनिवार्यता से अवैध कॉलोनी विकसित होने पर रोक लगेगी।
अभी ऐसी स्थिति
अभी कृषि भूमि का सिर्फ ऑनलाइन डायवर्जन कर प्लॉटिंग कर दी जाती है। बिना किसी मंजूरी के प्लॉट या मकान का विक्रय हो जाता है। अपेक्षाकृत सस्ती दरों में मिलने से लोग इन्हें खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में जब मंजूरियों की कमी से सरकारी सुविधाएं यहां तक नहीं पहुंचती तो फिर रहवासी परेशान होते हैं। नारकीय जीवन जीने को मजबूर होते हैं।
क्या है रेरा एक्ट
एक मई 2017 से प्रदेश में रेरा एक्ट लागू हुआ। इसके तहत व्यवसायिक उपयोग के लिए प्लॉट- मकान, दुकान की खरीदी बिक्री के लिए रेरा पंजीयन कराना जरूरी है। रेरा पंजीयन के लिए 28 तरह के दस्तावेज की जरूरत होती है। इसमें टीएंडसीपी से लेकर नगर निगम और अन्य विभागों की एनओसी, मंजूरियों से लेकर कॉलोनी विकसित करने वाले से जुड़े व जमीन से जुड़े दस्तावेज चाहिए। इसकी मॉनीटरिंग होती है। यानि इसमें धोखाधड़ी की स्थिति नहीं के बराबर होती है।
ये होगा असर
रेरा पंजीयन रजिस्ट्री में जरूरी करने से अब अवैध कॉलोनी के प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी। रजिस्ट्री के लिए रेरा का नंबर मांगा जाएगा जो नहीं होगा तो, लोग अवैध कॉलोनी विकसित करने वालों के चंगुल में नहीं फंसेंगे।