


क्या ट्रंप की चीन नीति में कोई बदलाव आ रहा है? हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन चिंताजनक संकेत हैं कि ट्रंप चीन के प्रति अपने व्यापारिक रुख को और उदार बना रहे हैं। भले ही इसके लिए उन्हें अपने सुरक्षा संबंधी फैसले पलटने पड़ें। भारत, क्वाड और अधिकांशहिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए यह चिंताजनक है क्योंकि टैरिफ के मोर्चे पर सहयोगी या साझेदार भी इससे अछूते नहीं हैं। सबसे पहले, वह ताइवान के साथ नरमी बरत रहे हैं, जबकि चीन के सदाबहार दोस्त पाकिस्तान के साथ गर्मजोशी दिखा रहे हैं।
जून में, ट्रंप ने वाशिंगटन में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की मेजबानी की। उसी महीने, उनके प्रशासन ने चीन के साथ ट्रेड बातचीत जारी रहने के कारण ताइवान के साथ अपनी प्रस्तावित रक्षा बातचीत को रद्द कर दिया। हाल ही में, ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने दक्षिण अमेरिका की अपनी यात्रा रद्द कर दी। इसकी वजह थी कि अमेरिका ने उन्हें वहां रुकने की अनुमति नहीं दी थी।
अमेरिकी रुख से चीन हैरान!
चीन को भी अमेरिका के इस कदम को पचाना मुश्किल लग रहा है। उसके साइबरस्पेस प्रशासन ने एनवीडिया के अधिकारियों को तलब किया और पूछा कि क्या H20 में कोई ऐसा बैकडोर है जिससे अनधिकृत पहुंच और निगरानी संभव हो सकती है। अमेरिकी कंपनी ने इससे इनकार किया है। हालांकि, बीजिंग के अपनी जांच खुद करने की संभावना है। चीन पर तमाम कठोर बातों के बावजूद, ये ट्रंप की ओर से दी गई महत्वपूर्ण रियायतें हैं। कुछ व्यक्तिगत डील के जरिए और कुछ विश्वसनीय विकल्पों के बिना, खासकर रेयर अर्थ और मैग्नेट पर चीनी सप्लाई सीरिज के दबाव से उत्पन्न राजनीतिक दबाव के कारण।
चीन में उइगर नरसंहार पर बिल
ट्रंप का ये कदम उनकी MAGA राजनीति और ट्रंप के मूल समर्थकों के साथ अजीबोगरीब हैं। इसलिए, संकेत मिल रहे हैं कि वे अमेरिकी कांग्रेस में अपनी रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं। चीन को लेकर वाइट हाउस की तमाम सतर्कता के बीच, हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस में उइगर नरसंहार जवाबदेही और प्रतिबंध अधिनियम 2025 नामक एक द्विदलीय विधेयक पेश किया गया।