


रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं कि उस हिसाब से भारत से ज्यादा रूसी तेल चीन खरीद रहा है तो फिर चीन के ऊपर टैरिफ क्यों नहीं लगाया गया है? ट्रंप प्रशासन अभी तक इस सवाल का सही जवाब नहीं दे पाया है। इस बीच अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने कबूल किया है कि चीन पर टैरिफ लगाना बहुत मुश्किल फैसला है।
जेडी वेंस ने कहा है कि भारत पर रूसी तेल आयात पर भारी टैरिफ वृद्धि करने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब चीन के खिलाफ भी इसी तरह के उपायों पर विचार कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया, कि चीन के खिलाफ टैरिफ लगाने का फैसला करना काफी ज्यादा मुश्किल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील होगा।
चीन पर टैरिफ लगाने से ट्रंप के हाथ-पांव फूले?
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के बयान से साफ जाहिर हो रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप, चीन के पलटवार से डरे हुए हैं। दरअसल, ट्रंप ने जब पहली बार चीन पर टैरिफ लगाया तो चीन ने तत्काल पलटवार करते हुए उन दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति ही अमेरिका को काफी कम कर दी, जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत अमेरिका की डिफेंस इंडस्ट्री की है। मौजूदा हालात ये हैं कि अमेरिकी रक्षा कंपनियों हथियार बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। कई कंपनियों को हथियारों की डिलीवरी डेट को दो से तीन महीने आगे बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।