


छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में दत्तक पिता को अविवाहित पुत्री की संपत्ति का उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति एनके व्यास की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि मृतक अविवाहित पुत्री की संपत्ति का उत्तराधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 15 और 16 के तहत तय होगा, जिसके अनुसार मां ही वैध उत्तराधिकारी मानी जाएगी।
क्या है मामला?
रायगढ़ जिले के पुसौर निवासी खितिभूषण पटेल ने अपनी मृतक दत्तक पुत्री ज्योति पटेल की संपत्ति पर दावा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। ज्योति के पिता पंचराम पटेल की मौत 1999 में हो गई थी। मां के घर छोड़ देने के बाद, ज्योति को खितिभूषण ने गोद लिया और उसकी शिक्षा और पालन-पोषण किया।
ज्योति को अनुकंपा नियुक्ति के तहत पुलिस विभाग में नौकरी मिली, लेकिन 2014 में उसकी भी मौत अविवाहित अवस्था में हो गई। उसके बैंक खातों और बीमा पॉलिसियों में खितिभूषण को नामांकित किया गया था।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि नामांकित व्यक्ति केवल जमा राशि प्राप्त करने का अधिकारी होता है, लेकिन संपत्ति का वितरण उत्तराधिकार कानून के अनुसार ही होगा। चूंकि मृतका अविवाहित महिला है और उसके पिता का भी देहांत हो चुका है, इसलिए संपत्ति की उत्तराधिकारी उसकी मां ही होगी।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि नामिनी होना उत्तराधिकारी होने का प्रमाण नहीं होता। नामांकित व्यक्ति केवल ट्रांजेक्शन के लिए पात्र होता है, लेकिन संपत्ति का अंतिम अधिकार उत्तराधिकारियों को ही होता है।
याचिका हुई खारिज
सिविल न्यायालय द्वारा खारिज की गई याचिका के खिलाफ दायर अपील को हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए साफ किया कि दत्तक पिता को मृतक अविवाहित पुत्री की चल-अचल संपत्ति का अधिकार नहीं मिल सकता।