उम्र के साथ पुरुषों में हार्मोनल बदलाव: एंड्रोपॉज को समझना क्यों है जरूरी
अक्सर हार्मोनल बदलावों की चर्चा होते ही महिलाओं और मेनोपॉज का जिक्र किया जाता है, लेकिन पुरुषों के जीवन में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन लंबे समय तक अनदेखे रह जाते हैं। जबकि उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में भी एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया होती है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में एंड्रोपॉज कहा जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद धीरे-धीरे विकसित होती है, जिसमें पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 2 hours ago
49
0
...

अक्सर हार्मोनल बदलावों की चर्चा होते ही महिलाओं और मेनोपॉज का जिक्र किया जाता है, लेकिन पुरुषों के जीवन में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन लंबे समय तक अनदेखे रह जाते हैं। जबकि उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में भी एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया होती है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में एंड्रोपॉज कहा जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद धीरे-धीरे विकसित होती है, जिसमें पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है। टेस्टोस्टेरोन केवल यौन क्षमता ही नहीं, बल्कि ऊर्जा, मानसिक संतुलन, आत्मविश्वास, मांसपेशियों की मजबूती और समग्र स्वास्थ्य से भी जुड़ा होता है।

आज के समय में जब पुरुषों की औसत आयु बढ़ रही है और जीवनशैली अधिक तनावपूर्ण होती जा रही है, तब एंड्रोपॉज को समझना और उसके संकेतों को समय रहते पहचानना बेहद जरूरी हो गया है। जानकारी के अभाव में कई पुरुष इसके लक्षणों को सामान्य थकान, काम का दबाव या उम्र का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि यही अनदेखी आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

धीरे-धीरे होने वाला जैविक परिवर्तन

एंड्रोपॉज कोई अचानक आने वाली अवस्था नहीं है। इसे पुरुषों का मिडलाइफ हार्मोनल ट्रांजिशन कहा जा सकता है। इस दौरान टेस्टोस्टेरोन का स्तर हर साल औसतन एक प्रतिशत तक घटता है। चूंकि यह गिरावट धीरे-धीरे होती है, इसलिए इसके प्रभाव भी क्रमशः सामने आते हैं। लंबे समय तक बनी रहने वाली थकान, शारीरिक क्षमता में कमी और मानसिक अस्थिरता इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं, जिन्हें गंभीरता से लेना जरूरी है।

हार्मोनल बदलाव के कारण

उम्र बढ़ने के साथ शरीर की ग्रंथियों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन मुख्य रूप से वृषण (टेस्टिस) में होता है, जिनकी सक्रियता समय के साथ कम होने लगती है। इसके अलावा पिट्यूटरी ग्रंथि, जो हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है, उसकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। आधुनिक जीवनशैली—जैसे शारीरिक गतिविधि की कमी, मानसिक तनाव, अनियमित नींद, शराब का सेवन और असंतुलित आहार—इस प्राकृतिक प्रक्रिया को और तेज कर देती है। मोटापा भी टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट का एक बड़ा कारण माना जाता है।

शारीरिक लक्षणों को न करें नजरअंदाज

एंड्रोपॉज के लक्षण सबसे पहले शरीर पर दिखाई देते हैं। लगातार थकान, मांसपेशियों की ताकत में कमी, शरीर में चर्बी बढ़ना—खासकर पेट के आसपास—और हड्डियों की मजबूती कम होना आम समस्याएं हैं। नींद से जुड़ी परेशानियां, जैसे देर से नींद आना या बार-बार नींद टूटना, भी देखी जाती हैं। इसके साथ ही यौन इच्छा में कमी और इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

मानसिक और भावनात्मक प्रभाव

हार्मोनल असंतुलन का असर केवल शरीर तक सीमित नहीं रहता। एंड्रोपॉज से गुजर रहे पुरुषों में चिड़चिड़ापन, उदासी, आत्मविश्वास में कमी और कभी-कभी अवसाद जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। निर्णय लेने में कठिनाई और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी कार्यस्थल पर प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है। कई पुरुष स्वयं को पहले जैसा सक्षम न मानने लगते हैं, जिससे उनका आत्मसम्मान प्रभावित होता है।

सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर प्रभाव

शारीरिक और मानसिक असंतुलन का असर पुरुषों के सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर भी पड़ता है। वैवाहिक संबंधों में संवाद की कमी, भावनात्मक दूरी और असंतोष जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। अक्सर पुरुष इन बदलावों पर खुलकर बात नहीं करते, क्योंकि वे इसे कमजोरी समझ लेते हैं। ऐसे समय में परिवार का सहयोग और सही संवाद बेहद जरूरी होता है।

जीवनशैली से काफी हद तक जुड़ा है एंड्रोपॉज

विशेषज्ञों के अनुसार एंड्रोपॉज की तीव्रता काफी हद तक जीवनशैली पर निर्भर करती है। नियमित व्यायाम करने वाले, संतुलित आहार लेने वाले और तनाव को नियंत्रित रखने वाले पुरुषों में इसके लक्षण अपेक्षाकृत हल्के होते हैं। प्रोटीन, विटामिन डी, जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार टेस्टोस्टेरोन के स्तर को संतुलित रखने में सहायक होता है। वहीं, बैठे रहने वाली जीवनशैली और जंक फूड का अधिक सेवन हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकता है।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Health & wellness

See all →
Sanjay Purohit
उम्र के साथ पुरुषों में हार्मोनल बदलाव: एंड्रोपॉज को समझना क्यों है जरूरी
अक्सर हार्मोनल बदलावों की चर्चा होते ही महिलाओं और मेनोपॉज का जिक्र किया जाता है, लेकिन पुरुषों के जीवन में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन लंबे समय तक अनदेखे रह जाते हैं। जबकि उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में भी एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया होती है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में एंड्रोपॉज कहा जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद धीरे-धीरे विकसित होती है, जिसमें पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है।
49 views • 2 hours ago
Sanjay Purohit
दांतों से चबाते हो नाखून? तो समझ लो खतरे में है आपका दिमाग
जब मस्तिष्क किसी खतरे, तनाव या असुरक्षा को महसूस करता है तब वह शरीर को सतर्क (Alert Mode) में डाल देता है। इसी अवस्था में कई बार नाखून चबाना, बार-बार काम टालना, बाल खींचना, ज़रूरत से ज़्यादा फोन चलाना जैसी नुकसानदेह प्रवृत्तिया विकसित हो जाती हैं।
97 views • 2025-12-17
Sanjay Purohit
भारतीयों की थाली में प्रोटीन तो भरपूर, मगर पौष्टिकता आधी
भारतीयों की थाली में प्रोटीन की मात्रा तो बढ़ रही है, मगर उसकी गुणवत्ता आधी रह गई है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) के नए अध्ययन में सामने आया है कि भारतीय प्रतिदिन औसतन 55.6 ग्राम प्रोटीन का सेवन करते हैं, लेकिन उसमें से करीब 50 प्रतिशत हिस्सा चावल, गेहूं, सूजी और मैदा जैसे अनाजों से आता है।
74 views • 2025-12-14
Sanjay Purohit
किस विटामिन की कमी से होते हैं डार्क सर्कल्स?
आंखों के नीचे काले घेरे यानी डार्क सर्कल्स एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। कई लोग क्रीम, सीरम और घरेलू नुस्खे आज़माते रहते हैं, लेकिन फिर भी फर्क नहीं पड़ता। इसकी बड़ी वजह यह है कि कई बार डार्क सर्कल्स अंदरूनी कमी या शरीर के बदलाव की वजह से होते हैं।
145 views • 2025-12-13
Sanjay Purohit
कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता, नहीं पड़ेगी कीमो थैरेपी की जरूरत!
मध्य प्रदेश से स्वास्थ्य और विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी खुशखबरी आई है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कैंसर उपचार में बड़ी सफलता हासिल की है। उनके शोध में ऐसे पौध-आधारित बायो-मॉलिक्यूल की पहचान हुई है, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोक सकते हैं और शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।
198 views • 2025-12-10
Sanjay Purohit
अलसी खाने से कौन-सी बीमारिया ठीक होती हैं?
सेहत को बनाए रखना हमारे लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि जब शरीर स्वस्थ और ताकतवर रहेगा, तभी हमारी जिंदगी का लाइफस्टाइल भी बेहतर होगा। खाने-पीने का सही ध्यान रखना इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में छोटे-छोटे लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर बीज, जैसे कि अलसी के बीज, हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
131 views • 2025-12-08
Sanjay Purohit
भारत ने किया कमाल: कैंसर मरीजों के लिए उम्मीद की किरण,अब AI बताएगा ट्यूमर के अंदर का सच
भारतीय वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फ्रेमवर्क विकसित किया है, जो कैंसर की कोशिकाओं के भीतर होने वाली जटिल गतिविधियों को पढ़ सकता है।
196 views • 2025-11-27
Sanjay Purohit
सुबह उठते ही आंखों से पानी आना किस बीमारी का लक्षण ?
सुबह उठते ही कई लोगों को आंखों से पानी आने की समस्या होती है. हल्का पानी आना आम बात है, लेकिन अगर यह परेशानी रोज बनी रहती है, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. यह किसी छिपी हुई बीमारी या आंखों से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है.
102 views • 2025-11-24
Sanjay Purohit
ब्रेस्ट में हल्का बदलाव भी खतरनाक! इन लक्षणों को न करें इग्नोर
अक्सर लोग सोचते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत हमेशा गांठ से होती है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती स्टेज में कई बार कोई गांठ नजर नहीं आती। इसके बजाय शरीर धीरे-धीरे कुछ संकेत देना शुरू कर देता है।
140 views • 2025-11-23
Sanjay Purohit
इन दो ब्लड ग्रुप वाले लोगों की सोचने-समझने की शक्ति होती है सबसे तेज, रिसर्च में हुआ खुलासा
हमारे शरीर में चार मुख्य ब्लड ग्रुप होते हैं – A, B, AB और O, जिन्हें पॉजिटिव और निगेटिव में बांटा गया है। अक्सर आपने सुना होगा कि कुछ लोग बहुत चालाक या दिमाग से तेज़ होते हैं। हाल ही में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए रिसर्च से पता चला है कि ब्लड ग्रुप का दिमाग की क्षमता पर असर पड़ता है।
207 views • 2025-11-14
...