कब और क्यों मनाई जाती है माघ पूर्णिमा? जानें इसका महत्व
माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं के साथ आकाश में स्थित होता है। यह दिन माघ मास का अंतिम दिन होता है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और जप-तप का अत्यधिक महत्व बताया गया है।
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Sanjay Purohit
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हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि इस दिन स्नान, दान और जप करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर गंगा स्नान करने से आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस वर्ष माघ पूर्णिमा 11 फरवरी की शाम 6 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होकर 12 फरवरी की शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार इस पर्व को 12 फरवरी को मनाया जाएगा। इस साल महाकुंभ के दौरान माघ पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है। इस शुभ अवसर पर श्रद्धालु प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगांएं।

माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं के साथ आकाश में स्थित होता है। यह दिन माघ मास का अंतिम दिन होता है और इसके उपरांत फाल्गुन माह का प्रारंभ हो जाता है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और जप-तप का अत्यधिक महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस पावन तिथि पर देवगण स्वयं गंगा नदी में स्नान करने के लिए धरती पर अवतरित होते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है।

माघ पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से माघ पूर्णिमा का विशेष स्थान है। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में स्थित होता है और सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस खगोलीय संयोग के कारण, यह दिन अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से संबंधित दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख किया गया है कि इस दिन स्वयं भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। इस दिन गंगा स्नान और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व बताया गया है।


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