


15 अगस्त 2025 का सूर्योदय केवल एक राष्ट्रीय पर्व का संकेत नहीं, बल्कि एक ऐसे युग के आगमन की घोषणा है जहाँ भारत अपनी कहानी खुद लिख रहा है। आज़ादी के 79 वर्ष बाद हम केवल अतीत के गौरव का स्मरण ही नहीं कर रहे, बल्कि भविष्य के लिए एक ठोस संकल्प भी ले रहे हैं—"नया भारत", जो आत्मनिर्भर, सुरक्षित, समृद्ध और संवेदनशील हो।
अतीत की प्रेरणा, भविष्य का संकल्प
1947 में हमने राजनीतिक स्वतंत्रता पाई, लेकिन वास्तविक स्वतंत्रता की यात्रा अभी भी जारी है। इस यात्रा के हर पड़ाव ने हमें सिखाया है कि आज़ादी का अर्थ केवल बंधनों से मुक्ति नहीं, बल्कि स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का निर्माण है। आज का भारत उसी मार्ग पर, और भी दृढ़ कदमों से आगे बढ़ रहा है।
आत्मनिर्भरता: राष्ट्र की नई पहचान
"वोकल फॉर लोकल" और "मेक इन इंडिया" अब नारे भर नहीं रहे, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक ढांचे का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। रक्षा उत्पादन से लेकर अंतरिक्ष अनुसंधान, कृषि से लेकर डिजिटल क्रांति—हर क्षेत्र में भारत अपने संसाधनों और कौशल के बल पर खड़ा है। यह आत्मनिर्भरता न केवल आर्थिक मजबूती देती है, बल्कि हमें वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास से खड़ा करती है।
सुरक्षा और संप्रभुता: दृढ़ संकल्प
"खून और पानी साथ नहीं बह सकते"—यह संदेश केवल एक बयान नहीं, बल्कि नीति का आधार बन चुका है। आतंकवाद, सीमा विवाद और साइबर खतरों से निपटने में भारत ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों, ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों और रणनीतिक साझेदारियों ने हमारे आत्मरक्षा कवच को और मजबूत किया है।
विकास का समावेशी मॉडल
नया भारत केवल आर्थिक वृद्धि के आँकड़ों से नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुँचने वाले विकास से परिभाषित होगा। किसानों के लिए आधुनिक कृषि योजनाएँ, युवाओं के लिए रोजगार प्रोत्साहन, महिलाओं के लिए उद्यमिता अवसर और गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा—ये सब मिलकर "विकसित भारत" के ब्लूप्रिंट को साकार कर रहे हैं।
लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनर्पुष्टि
संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है और नया भारत इसी आत्मा को सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे आदर्श केवल किताबों में नहीं, बल्कि नीतियों और व्यवहार में झलकने लगे हैं। स्वतंत्रता दिवस पर इन मूल्यों को पुनः स्मरण करना और इन्हें व्यवहार में उतारना ही असली राष्ट्रभक्ति है।
नागरिकों की भूमिका: साझा जिम्मेदारी
सरकार की नीतियाँ और योजनाएँ तभी सफल होंगी जब नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी निभाएँगे। करों का ईमानदारी से भुगतान, संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग, सामाजिक सद्भाव बनाए रखना और पर्यावरण संरक्षण—ये वो योगदान हैं जो हर भारतीय से अपेक्षित हैं। नया भारत तभी बनेगा जब हर नागरिक स्वयं को इस परिवर्तन का सक्रिय भागीदार मानेगा।
79वाँ स्वतंत्रता दिवस हमें यह एहसास कराता है कि हमने लंबी यात्रा तय की है, लेकिन मंज़िल अभी शेष है। यह नया भारत, पुरानी जड़ों और आधुनिक दृष्टि का संगम है—जहाँ विकास का अर्थ केवल आर्थिक तरक्की नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक उत्थान भी है।