


चीन ने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई रोक दी है। इससे भारत में ऑटो समेत कई सेक्टरों के लिए खतरा पैदा हो गया है। इस बीच भारत ने भी चीन पर निर्भरता कम करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने सरकारी कंपनी इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) को जापान को रेयर अर्थ एलिमेंट्स का निर्यात सस्पेंड करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक यह कंपनी 13 साल पुराने एक समझौते के तहत जापान को रेयर अर्थ एलिमेंट्स का एक्सपोर्ट कर रही थी।
IREL अब भारत में ही रेयर अर्थ एलिमेंट्स को प्रोसेस करने की क्षमता बढ़ाना चाहता है। अभी इस मामले में चीन सबसे आगे है। चीन का रेयर अर्थ प्रोडक्शन 2014 से तीन गुना हो चुका है। साल 2024 में उसने 270,000 मीट्रिक टन रेयर अर्थ का उत्पादन किया जो ग्लोबल प्रोडक्शन का 69% है। दुनिया की कुल रिफाइनिंग कैपेसिटी का 90% चीन के पास है। चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात को हथियार की तरह इस्तेमाल किया है। अप्रैल से चीन ने इनका निर्यात कम कर दिया है। इससे ऑटोमोबाइल और हाई-टेक सामान बनाने वाली कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है।
साल 2012 में सरकार ने एक समझौता किया था। इसके तहत IREL जापान की कंपनी टोयोटा त्सुशो की एक यूनिट टोयोट्सु रेयर अर्थ्स इंडिया को रेयर अर्थ एलिमेंट सप्लाई करती है। टोयोट्सु रेयर अर्थ्स इंडिया इन एलिमेंट्स को प्रोसेस करके जापान भेजती है। जापान में इनका इस्तेमाल चुंबक बनाने में होता है। कस्टम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में टोयोट्सु ने जापान को 1,000 टन से ज्यादा रेयर अर्थ एलिमेंट्स भेजे थे। IREL ने कुल 2,900 टन रेयर अर्थ एलिमेंट्स का खनन किया था।