नशे के खिलाफ कदम: वर्तमान समय की सख्त जरूरत
निश्चित रूप से किसी राज्य या देश की जवानी का नशे के सैलाब में डूबना राष्ट्रीय क्षति ही है। इसके लिये नशे की आपूर्ति रोकने से लेकर प्रयोग तक पर नियंत्रण की राष्ट्रव्यापी मुहिम की जरूरत है।
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Sanjay Purohit
Created AT: 16 दिसंबर 2024
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इसमें दो राय नहीं कि कोई भी बड़ा सामाजिक बदलाव का आंदोलन व्यापक जन भागीदारी से ही सिरे चढ़ सकता है। आज पंजाब समेत देश के अन्य राज्यों में युवा पीढ़ी जिस भयावह तरीके से नशे के दलदल में धंसती जा रही है, वह राष्ट्र के लिये एक गंभीर चुनौती है। जिसका मुकाबला सरकारों के साथ आम आदमी के जुड़ाव से ही संभव है। निस्संदेह, नशे के नश्तर से महिलाओं को मर्मांतक पीड़ा सहन करनी पड़ती है। अब चाहे पति हो या बेटा, नशे की लत लगने से पूरा परिवार ही संकट में आ जाता है। निश्चित रूप से किसी राज्य या देश की जवानी का नशे के सैलाब में डूबना राष्ट्रीय क्षति ही है। इसके लिये नशे की आपूर्ति रोकने से लेकर प्रयोग तक पर नियंत्रण की राष्ट्रव्यापी मुहिम की जरूरत है।

नशा यानि अंधकारमय भविष्य

निस्संदेह, नशे के तेजी से बढ़ते शिकंजे से न केवल असामयिक मौतों, लाइलाज बीमारियों का खतरा बढ़ता है, बल्कि समाज में अपराधों का सिलसिला भी तेज हो जाता है। देखने में आया है कि बड़े अपराधों से लेकर चोरी छीनाझपटी की घटनाओं के मूल में नशाखोरी की भूमिका होती है। कई आपराधिक घटनाओं के मूल में उन कालेज जाने वाले छात्रों की भूमिका पायी गई है, जो नशे के लिये पैसा जुटाने के लिये अपराध की अंधी गलियों में उतर जाते हैं। यह जानते हुए भी यह रास्ता उनके जीवन को बर्बादी की राह पर ले जाता है। निश्चित रूप से समाज विज्ञानियों को भी व्यापक अध्ययन करना चाहिए कि क्यों नई पीढ़ी नशे की ओर तेजी से उन्मुख हो रही है। एक समय था कि पंजाब में आतंक फैलाने के खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिये सीमा पार से नशे की बड़ी खेप पंजाब भेजी जाती रही है। चरमपंथियों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिये भी इस षड्यंत्र को सुनियोजित तरीके पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों ने अंजाम दिया।

देश को कमजोर करने की साजिश

हाल के दिनों में बीएसएफ ने पाकिस्तान की सीमा से लगते भारतीय इलाकों में ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थों को गिराने की साजिशों पर लगाम लगायी है। निश्चित रूप से पहले कदम के रूप में सीमाओं को नशे की तस्करी से निरापद बनाने की जरूरत है। वहीं हमारी सुरक्षा व्यवस्था में शामिल उन काली भेड़ों को भी बेनकाब करने की जरूरत है जो नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रही हैं।

नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना और पुनर्वास

नशे से पीड़ितों को इस दलदल से बाहर निकालने के लिये नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना और पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक उपचार देने की भी जरूरत है। निश्चित रूप से नशा देश के लिये बड़ी चुनौती बनती जा रही है। जिसके खिलाफ साझा लड़ाई से ही हम कामयाब हो सकते हैं। सही मायनों में यह स्थिति इस संवेदनशील सीमांत राज्य के लिये ही चुनौती नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय संकट की भी आहट है। केंद्रीय एजेंसियों को मिलकर नशे के समूल नाश के लिये व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है।
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