दिखावा और शानो-शौकत छोड़ सादगी से निभाएं शादी की रस्में
दिखावे के चलते समाज का एक बड़ा हिस्सा अब शादियों पर जमकर पैसा खर्च कर रहा है। नई-नई वेन्यू, रस्में, ज्यादा मेहमान और वेडिंग प्लानर आदि पर खर्च की एक होड़ है। ऐसे खर्चीले आयोजन सीमित आय वर्ग के लिए मुश्किल खड़ी करते हैं।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 04 फरवरी 2025
191
0
...

परिवर्तित परिवेश को दिखावे का युग कहना कदापि अनुचित न होगा। पुरातन भारतीय जन जीवन का अभिन्न अंग रही सादगी बदलाव की इस बयार में जैसे कहीं सिमटने लगी है। भौतिकवाद के प्रदर्शन की अंधी होड़ ही तो है, जो नैसर्गिक प्रसन्नता तक कृत्रिम साधनों में तलाशती फिरती है। सनातन संस्कृति के अनुसार, सोलह संस्कारों में से एक ‘विवाह संस्कार’ की ही बात लें; दो परिवारों को जोड़ने की यह पुनीत रस्म भी भला कहां सामयिक परिवर्तन के स्पर्श से अछूती रह पाई!

शादियों पर जमकर खर्च करने का चलन

कभी सादे समारोह में दुल्हन को भावभीनी विदाई देने में यक़ीन रखने वाले भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा अब शादियों पर जमकर पैसा लुटाने में गर्व अनुभव करता है। इसी के दृष्टिगत किया गया एक अध्ययन, देश में औसत शादी का खर्च 36-37 लाख रुपये पर पहुंचने का ख़ुलासा करता है। भारत में विवाह उद्योग का बढ़ता बाज़ार देखें तो 130 बिलियन डॉलर के साथ फूड और ग्रॉसरी के बाद यह दूसरे नंबर पर है। निवेश बैंकिंग और पूंजी बाज़ार फर्म जेफ़रीज की रिपोर्ट के तहत, भारतीय विवाह बाज़ार अमेरिकी बाज़ार से दोगुना है।

खर्च बढ़ने के प्रमुख कारण

शादियों में खर्च बढ़ने का प्रमुख कारण वर्ष-दर-वर्ष क़ीमतों में 10 फ़ीसदी इज़ाफ़ा होना है। शादी के वेन्यू से लेकर केटरिंग तक का खर्च तुलनात्मक रूप में पहले से काफी बढ़ा है। इन खर्चों को बढ़ाने में प्री-वेडिंग इवेंट अथवा डेस्टिनेशन वैडिंग के नाम पर नवनिर्मित रस्में भी पीछे नहीं। वहीं शादी को शाही टच देने की मंशा से लोग ख़ास वेडिंग प्लानर से लेकर इवेंट मैनेजमेंट एजेंसियों की मदद ले रहे हैं। जस्ट डायल की एक रिपोर्ट महानगरों में विवाह सेवाओं की मांग में 34% वृद्धि होने का तथ्य उजागर करती है।

ज्यादा मेहमान, ज्यादा खाना

कुछ लोगों ने तो मानो विवाह समारोह रैलियों में ही तब्दील कर डाले हों। मेलजोल के बड़े दायरे का रोब झाडऩे की मंशा से अधिकाधिक मेहमान बुलाए जाते हैं। भोजन के नाम पर इतने व्यंजन कि खाया कम जाता है, बर्बाद अधिक होता है। आमंत्रण में अपनत्व की भावना समाप्त होती जा रही है। रिश्ते व विवाह संस्कार जैसे मांगलिक कार्य भी भौतिक सोच के तराजू पर तोले जाने लगे हैं। नि:संदेह, इसे सामाजिक मूल्यों का पराभव कहेंगे।

असमानता को बढ़ावा

सम्पन्नता की प्रदर्शनकारी होड़ का सर्वाधिक खमियाजा भुगतते हैं, समाज के आमजन। सीमित आय में सुयोग्य वर-वधू ढूंढना अथवा विवाह करना कठिन जान पड़ता है। वैवाहिक रस्मों के नाम पर बढ़ते आडंबरों ने पहले से ही मौजूद अमीरी-ग़रीबी की खाई को और गहरा कर दिया है। सादे समारोह को प्राथमिकता देने वाले अनेक युवा हालांकि इस दिशा में अनुकरणीय पहल कर रहे हैं किंतु इसके लिए समाज के एक बड़े भाग को प्रगतिशील सोच विकसित करनी होगी।

धन का सदुपयोग करने का संकल्प

वास्तव में विवाह दो आत्माओं एवं दो परिवारों के सुखद मिलन से जुड़ा पवित्र संस्कार है, जिसे आत्मीय जनों के साथ मिलकर मानवीय व सामाजिक मूल्यों की मर्यादा का भान रखते हुए सादगीपूर्वक सम्पन्न करना चाहिए। खून-पसीने की कमाई मिथ्या प्रदर्शन पर लुटा देने में भला क्या समझदारी? मांगलिक समारोह में सुनियोजित ढंग से धन का सदुपयोग करने का संकल्प विकसित किया जाए तो समाज को दिशा-ज्ञान देने में यह एक सराहनीय उदाहरण साबित हो सकता है।


ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Lifestyle

See all →
Sanjay Purohit
9 ग्रहों से आशीर्वाद पाने के लिए किस दिन कौन से रंग के कपड़े पहनें?
हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साफ-सुथरे और सही रंग के वस्त्र पहनना न सिर्फ़ आपकी छवि को निखारता है, बल्कि आपके भाग्य को भी बदल सकता है। कहा जाता है कि जहां सफाई होती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है और यही नियम कपड़ों पर भी लागू होता है। हर दिन एक विशेष ग्रह और देवी-देवता को समर्पित होता है, और उस दिन यदि हम उसी ग्रह से जुड़ा रंग पहनें, तो उस ग्रह का शुभ प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
132 views • 2025-08-31
Sanjay Purohit
मोटापे की महामारी
देश में जिस तेजी से मोटापा और उससे जनित रोगों का दायरा बढ़ा है, उससे यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात जैसी स्थिति बनती जा रही है। जिससे मोटापा जनित गैर संक्रामक रोगों में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। एक अध्ययन में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खुलासा किया है कि साल 2025 तक भारत की वयस्क आबादी में मोटापे की दर 20 से 23 फीसदी तक जा पहुंची है।
154 views • 2025-08-29
Richa Gupta
स्वाद बढ़ाने के लिए 5 टेस्टी चटनियां, हर खाने के साथ करें सर्व
चटनी के साथ खाना खाने का अनुभव निराला होता है। अगर भारतीय खाने के साथ चटनी न परोसी जाए तो खाने का स्वाद गायब सा हो जाता है।
110 views • 2025-08-25
Richa Gupta
विटामिन B-12 की कमी से हो सकती है कई तरह की समस्याएं, रहें सावधान
विटामिन्स का हमारे शरीर में बहुत ही अहम रोल होता है। किसी भी (Health update) विटामिन की कमी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। इसी तरह विटामिन बी-12 की कमी से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती है।
137 views • 2025-08-23
Sanjay Purohit
हर उम्र में जवां दिखने का राज हैं ये 5 एंटी- एजिंग फूड
आजकल की बदलती जीवनशैली, तनाव, खराब खानपान और प्रदूषण का सबसे पहला असर हमारी स्किन यानी त्वचा पर नजर आता है। कम उम्र में ही झुर्रियां, रूखापन, ढीलापन और स्किन का ग्लो खत्म होना अब आम बात हो गई है। अब तो लोग बढ़ती उम्र में भी यही चाहते हैं कि उनकी स्किन जवां और चमकदार दिखे।
212 views • 2025-08-07
Sanjay Purohit
बालों के लिए भी वरदान है तुलसी, इसके इस्तेमाल से कभी लौटकर नहीं आएगी डैंड्रफ
क्या आप जानते हैं कि तुलसी शरीर के साथ-साथ बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण बालों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। आज हम आपको तुलसी हेयर ऑयल के बारे में बताने जा रहे हैं जो बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
84 views • 2025-08-07
Richa Gupta
संतरे के छिलके से स्क्रब बनाएं, पाएं चमकती त्वचा
संतरे के छिलके से घरेलू स्क्रब बनाएं और त्वचा को प्राकृतिक तरीके से चमकदार बनाएं। आसान, सस्ता और प्रभावी तरीका।
135 views • 2025-08-02
Richa Gupta
माइग्रेन से राहत पाने के असरदार घरेलू उपाय
अगर माइग्रेन के दर्द से परेशान हैं, तो अपनाएं ये आसान और असरदार घरेलू उपाय। दवा के बिना भी मिल सकती है सिरदर्द से राहत — जानें जरूरी टिप्स।
146 views • 2025-08-02
Sanjay Purohit
फोन से निकलने वाली किरणों से त्वचा को होते हैं ये बड़े नुकसान
आज के समय में मोबाइल हर किसी की जिंदगी का काफी अहम हिस्सा हो गया है। सुबह उठते ही और रात को सोते समय, हर किसी के हाथ में मोबाइल तो होता ही है। शायद ही लोग कभी अपने फोन को छोड़कर कहीं जाते हैं। डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल से आंखों पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन लोग नहीं समझते।
135 views • 2025-07-31
Sanjay Purohit
रोज़ाना 30 मिनट नंगे पैर चलने के अद्भुत लाभ: विज्ञान, प्रकृति और आयुर्वेद की दृष्टि से
प्राचीन भारतीय जीवनशैली में प्रकृति के साथ जुड़ाव को विशेष महत्व दिया गया है। ऋषि-मुनि और योगी नंगे पैर चलने को साधना और स्वास्थ्य का अंग मानते थे। आज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी यह स्वीकार कर रहा है कि नंगे पैर चलना शरीर, मन और आत्मा — तीनों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
203 views • 2025-07-24
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
हिन्दी : शिवस्वरूपा और महाकाल
हिन्दी दिवस के एक दिन पूर्व यह लेख लिखते हुए मन में अपार गर्व और आत्मगौरव का अनुभव हो रहा है। निसंदेह हिन्दी दुनिया की श्रेष्ठतम भाषाओं में एक है। हर भाषा का अपना आकर्षण है, लेकिन हिन्दी अनेक मायनों में अद्वितीय और अनुपम है। इसमें सागर जैसी गहराई है, अंबर जैसा विस्तार है और ज्योत्स्ना जैसी शीतलता है।
76 views • 2025-09-13
Sanjay Purohit
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रनायक का अद्भुत संगम
भारत भूमि ने समय-समय पर ऐसे महामानवों को जन्म दिया है जिनका जीवन केवल उनके युग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनता है। ऐसे ही एक महान विभूति थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन—दार्शनिक, शिक्षक, चिंतक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति। उनके व्यक्तित्व में ज्ञान, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
106 views • 2025-09-05
Sanjay Purohit
संतति, संस्कृति और पितृपक्ष : सनातन परंपरा का जीवंत संवाद
सनातन संस्कृति की गहराई को समझना हो तो पितृपक्ष उसका सबसे जीवंत आयाम है। यह केवल 16 दिन का कर्मकांड नहीं है, बल्कि संतति और पूर्वजों के बीच संवाद का अवसर है। जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के दार्शनिक रहस्य को यह पर्व अपने भीतर समेटे हुए है।
148 views • 2025-09-02
Sanjay Purohit
गणेश: कालजयी सनातन संस्कृति के संवाहक
भारत की सनातन संस्कृति में यदि किसी देवता को सहजता, अपनापन और निकटता का प्रतीक माना जाए तो वह विघ्नहर्ता श्री गणेश हैं। हर शुभ कार्य से पहले उनका स्मरण केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का संदेश है—“आरंभ शुभ हो, पथ सरल हो और बुद्धि निर्मल हो।” यही कारण है कि गणेश केवल पूजनीय देवता ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के ऐसे संवाहक हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवन को दिशा देते आए हैं।
140 views • 2025-08-19
Sanjay Purohit
कृष्ण: सनातन धर्म के कालजयी नायक
मानव सभ्यता के विस्तृत इतिहास में यदि कोई ऐसा चरित्र है जिसने धर्म, दर्शन, प्रेम, राजनीति और अध्यात्म—सभी को एक साथ समेट लिया, तो वह हैं योगेश्वर श्रीकृष्ण। वे केवल एक पौराणिक कथा के पात्र नहीं, बल्कि सनातन धर्म की आत्मा, युगों-युगों के प्रेरणास्रोत और मानवता के शाश्वत नायक हैं।
160 views • 2025-08-16
Sanjay Purohit
79वाँ स्वतंत्रता दिवस: नए भारत की नई कहानी
15 अगस्त 2025 का सूर्योदय केवल एक राष्ट्रीय पर्व का संकेत नहीं, बल्कि एक ऐसे युग के आगमन की घोषणा है जहाँ भारत अपनी कहानी खुद लिख रहा है। आज़ादी के 79 वर्ष बाद हम केवल अतीत के गौरव का स्मरण ही नहीं कर रहे, बल्कि भविष्य के लिए एक ठोस संकल्प भी ले रहे हैं—"नया भारत", जो आत्मनिर्भर, सुरक्षित, समृद्ध और संवेदनशील हो।
195 views • 2025-08-15
Sanjay Purohit
आज़ादी का अमृत महोत्सव: उभरते भारत की नई तस्वीर
आज़ादी का अमृत महोत्सव केवल स्वतंत्रता के 78 वर्षों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उस नये भारत की झलक भी है, जो 21वीं सदी में आर्थिक और सामरिक दृष्टि से वैश्विक मंच पर एक सशक्त शक्ति बनकर उभर रहा है। आज भारत न केवल अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्स्मरण कर रहा है, बल्कि भविष्य की वह रूपरेखा भी गढ़ रहा है।
218 views • 2025-08-14
Sanjay Purohit
स्वतंत्रता दिवस 2025 : क्या नागरिक कर्तव्य-बोध का क्षरण हो रहा है?
भारत अपनी आज़ादी का 79वां वर्ष मना रहा है। तिरंगा लहराता है, देशभक्ति के गीत गूंजते हैं, और हर ओर गर्व की अनुभूति होती है। लेकिन इस उत्सव के शोर में एक गंभीर प्रश्न दब जाता है—क्या हमारे भीतर नागरिक कर्तव्यों का बोध धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है? क्या हम केवल अधिकारों की बात कर रहे हैं, और जिम्मेदारियों को भूलते जा रहे हैं?
242 views • 2025-08-13
Sanjay Purohit
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्: जन्माष्टमी एक पर्व नहीं, आत्मचेतना का आह्वान
हर वर्ष भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी की रात एक ऐसा दिव्य क्षण लेकर आती है, जब भारत की सांस्कृतिक आत्मा श्रीकृष्ण के रूप में पुनर्जन्म लेती है। यह केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि उस चेतना का स्मरण है जो जीवन को शाश्वत दिशा देती है।
161 views • 2025-08-11
Sanjay Purohit
भारतीय संस्कृति का अद्भुत पर्व: रक्षाबंधन
भारतवर्ष की संस्कृति विश्व में अपने गहन भाव-संपन्न पर्वों, आत्मीय परंपराओं और संबंधों की गरिमा के लिए जानी जाती है। इन्हीं में से एक अद्वितीय पर्व है — रक्षाबंधन। यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है, जो भारतीय मानस की गहराइयों से उपजा है।
206 views • 2025-08-07
...