


उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में असामान्य रूप से लंबी और कठोर सर्दियों की तैयारी चल रही है। मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस बार ला नीना इफेक्ट के कारण भारी बर्फबारी और लंबे समय तक ठंड पड़ेगी, जिससे बसंत का आगमन मार्च 2026 तक टल जाएगा। इस बीच, विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम में जमकर बर्फबारी हो रही है। धाम के आसपास की पहाड़ियां भी बर्फ से लकदक नजर आ रही हैं। बदरीनाथ धाम के साथ ही हेमकुंड साहब में भी सीजन की पहली बर्फबारी होने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई।
पंतनगर विश्वविद्यालय के मौसम विशेषज्ञ एएस नैन के अनुसार, ला नीना का प्रभाव दिसंबर से राज्य में दिखने लगेगा। उन्होंने तापमान में लगातार गिरावट की उम्मीद जताई है, जिससे पहाड़ों में भयंकर ठंड पड़ेगी। गर्मी के आगमन में असामान्य देरी बसंत के शुरुआती चरणों को भी प्रभावित कर सकती है। गिरने वाली बर्फ अधिक समय तक जमी रहेगी, जिससे सर्दियों का मौसम सामान्य से लंबा हो जाएगा।
क्या होता है ला नीना इफेक्ट?
मार्च और अप्रैल में भी ठंड पड़ने की आशंका है, जिससे फसलों, फूलों, पर्यटन और दैनिक जीवन पर असर पड़ेगा। यह आने वाले महीनों में मानसून के पैटर्न को भी बिगाड़ सकता है। ला-नीना इफेक्ट तब होता है जब प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। यह बदलाव वायु परिसंचरण पैटर्न को बदल देता है, जिससे उत्तरी भारत में बारिश और ठंड के दौर बढ़ जाते हैं। यदि ला-नीना मजबूत होता है तो यह आने वाले महीनों में मानसून के पैटर्न को भी बिगाड़ सकता है।