


इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी पोप पोप फ्रांसिस का का सोमवार को निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। वेटिकन केमरलेंगो केविन फेरेल ने एक बयान में कहा कि आज सुबह 7:35 बजे रोम के बिशप, फ्रांसिस, पिता के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च कार्डिनल की सेवा के लिए समर्पित था। फ्रांसिस पुरानी फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे और युवावस्था में उनके एक फेफड़े का हिस्सा निकाल दिया गया था। उन्हें 14 फरवरी, 2025 को जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां उन्हें डबल निमोनिया का पता चला था। उनके निधन के बाद पूरी दुनिया में शोक की लहर है। वेटिकन में नौ दिन का शोक घोषित कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, 'पोप फ्रांसिस के निधन से बहुत दुख हुआ। दुख की इस घड़ी में वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। पोप फ्रांसिस को हमेशा दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा। छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु मसीह के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने गरीबों और वंचितों की लगन से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई। मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूं और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर की गोद में शांति मिले।'