


23 साल से परेशान सरदार सरोवर बांध प्रोजेक्ट के हजारों पीड़ितों को MP हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दीपावली पर बड़ा तोहफा दिया है। हाईकोर्ट ने सरदार सरोवर पीड़ितों की याचिका पर अंतरिम फैसला दिया है। जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ ने धार, बड़वानी, खरगोन और आलीराजपुर कलेक्टरों को दो माह में सभी पीडि़तों को दिए गए आवंटन पत्र के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री करवाने के आदेश दिए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की जनहित याचिका में सरदार सरोवर प्रोजेक्ट में भूखंड आवंटन का मामला उठाया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार के आवंटन पत्र में केवल प्लॉट का नंबर और उसका साइज ही दर्ज है। इन आवंटन पत्रों का पंजीयन तक नहीं कराया गया है। हाईकोर्ट में बीते दिनों हुई सुनवाई में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा के तर्क पर नाखुशी जाहिर की थी।
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अंतरिम आदेश के मुताबिक, हजारों विस्थापितों को मुआवजे के बदले या पुनर्वास नीति के तहत 2002 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ये जमीनें दी गई थी। आवंटन पत्र उन्हें जमीन का मालिक तो बनाती है, लेकिन ये रजिस्टर्ड नहीं होने से इनका नामांतरण, सीमांकन, विभाजन, बंधक, विक्रय, हस्तांतरण आदि नहीं हो पा रहा है। अगर ये दस्तावेज नष्ट या गुम हो जाएं तो नया आवंटन पत्र प्राप्त करना बेहद कठिन होगा। ऐसे में सभी कलेक्टरों को इसे प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए। चारों जिलों के कलेक्टर 2 माह में रजिस्ट्री का काम पूरा करें। इसके बाद याचिका के अन्य मुद्दों पर कोर्ट विचार करेगी।