शिलांग: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने (Meghalaya Election 2023) भाजपा पर निशाना साधा है। बता दें कि मेघालय में कोनराड के संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी, यूडीपी और टीएमसी को भाजपा की "कठपुतली" करार दिया।
कांग्रेस के लिए होगा "वाटरशेड चुनाव"
यह दावा करते हुए कि मेघालय चुनाव कांग्रेस (Meghalaya Election 2023) के लिए एक "वाटरशेड चुनाव" होगा, रमेश ने कहा कि उसके 60 उम्मीदवारों में से 47 की उम्र 45 वर्ष से कम है और ऐसा किसी भी राज्य में पहले कभी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले से युवाओं को आगे आने में मदद मिलती है।
घोषणा पत्र जारी करने मेघालय पहुंचे कांग्रेस नेता
27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी करने के लिए शनिवार को यहां आए कांग्रेस नेता ने कहा कि मेघालय का मतलब बादलों का घर है, लेकिन ये बादल बारिश वाले नहीं बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और बिजली कटौती के हैं।
भाजपा के लिए कही ये बात
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, कांग्रेस भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और मेघालय की पहचान के विनाश के बादल और अपवित्र गठबंधन - भाजपा, एनपीपी, यूडीपी, टीएमसी के बादल के खिलाफ लड़ रही है, जो दावा कर रहे हैं कि वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, यहां (मेघालय में) एक कठपुतली है जिसे एनपीपी कहा जाता है, एक और कठपुतली है जिसे यूडीपी कहा जाता है और अब एक नई कठपुतली है, तीसरी कठपुतली जो मेघालय की राजनीति में आई है, टीएमसी या जेएमपी (जुडास मुकुल पार्टी) है।
कई कांग्रेस नेताओं ने बदली पार्टी
पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा, पूर्व स्पीकर चार्ल्स पिंग्रोप और 10 अन्य कांग्रेस विधायकों ने 2021 में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के प्रति अपनी पार्टी बदल ली थी। जयराम रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये सभी बीजेपी के गेम प्लान का हिस्सा हैं। एनपीपी बीजेपी की ए-टीम है, यूडीपी बी-टीम है और टीएमसी सी-टीम है। यह देखते हुए कि सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस के सहयोगी स्वतंत्र रूप से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, उन्होंने दावा किया कि एनपीपी, यूडीपी और बीजेपी सभी एक ही पैकेज का हिस्सा हैं।
कांग्रेस को हुआ है बड़ा नुकसान
रमेश ने कहा, इस तरह के त्याग का एक फायदा यह है कि वे रिक्तियां पैदा करते हैं और हमारे पास पहली बार इतने सारे युवा हैं। 60 उम्मीदवारों में से दस महिलाएं हैं। मेघालय में किसी अन्य राजनीतिक दल ने महिलाओं को ऐसा प्रतिनिधित्व नहीं दिया है।
कांग्रेस को हाल के वर्षों में एक बड़ा नुकसान हुआ है क्योंकि 2018 में चुने गए उसके 17 विधायकों में से कोई भी पार्टी के साथ नहीं है। जबकि उनमें से 12 2021 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, बाकी 5 एनपीपी और यूडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
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