


भारत से नकल में पीछे नहीं रहने वाले पाकिस्तान के वैज्ञानिक और इंजीनियर बैलेस्टिक मिसाइल नहीं बना पा रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके जनरल असीम मुनीर का सपना बार-बार टूट रहा है। हाल ही में पाकिस्तानी वैज्ञानिकों ने मीडियम रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल (MRBM) अबाबील का एक बार फिर टेस्ट किया, मगर यह परीक्षण नाकाम साबित हो गया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद 6-7 मई से 10 मई तक चले भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी पाकिस्तान भारत के ऐसे हथियारों से मात खा गया था। उसके डिफेंस सिस्टम और हथियार नाकाम साबित हुए थे। इसके बाद से ही पाकिस्तान में बेहद खौफ है।
अबाबील मिसाइल क्यों बनाना चाहता है पाकिस्तान
अबाबील एक तीन चरणों वाला ठोस ईंधन से चलने वाली मिसाइल है। इसकी रेंज करीब 2,000 किलोमीटर बताई जाती है। इसका पहली बार परीक्षण जनवरी, 2017 में किया गया था। इसमें MIRV तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एकसाथ दुश्मन के कई ठिकानों को तबाह करने की ताकत रखती है। यही खूबी पाकिस्तान अपने जंगी बेड़े में चाहता है, मगर उसका सपना बार-बार टूट रहा है।
अग्नि-5 के चक्कर में बार-बार फेल हो रहा पाकिस्तान
MIRV तकनीक इंटरकॉन्टिनेंट बैलेस्टिक मिसाइलों(ICBMs) के लिए काफी बेहतर मानी जाती है। आईसीबीएम की खूबी ये है कि ये 5,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। जैसे भारत की अग्नि-5 मिसाइल , जिसका मार्च, 2024 में टेस्ट काफी कामयाब रहा था। वहीं, इसकी नकल करने में पाकिस्तान बार-बार फेल हो रहा है।
पाकिस्तान के पास एक भी आईसीबीएम नहीं
पाकिस्तान ने अपनी क्षेत्रीय जरूरतों के हिसाब से हथियार प्रणाली का विकास किया है। पाकिस्तान के पास आईसीबीएम मिसाइलें नहीं हैं। पाकिस्तान को इसकी जरूरत भी नहीं है। उसकी पूरी तैयारी भारत के खिलाफ ही है। पाकिस्तानन ने शाहीन सीरीज की मिसाइलें बनाई हैं, जो शॉर्ट, मीडियम और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं।