


ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया है कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को चीन और पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम नहीं रोक सकते हैं। अब जरा सोचिए कि अगर सुपरसोनिक स्पीड वाली ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान में इतनी तबाही मचा सकती है तो फिर हाइपरसोनिक स्पीड वाली ब्रह्मोस मिसाइल क्या कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत और रूस के बीच ब्रह्मोस-2K हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रोग्राम को फिर से शुरू करने को लेकर बड़ा समझौता हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब भारत के दौरे पर आएंगे उस दौरान दोनों देशों के बीच बड़ा समझौता हो सकता है।
ब्रह्मोस-2K में स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा और ये अपने साथ न्यूक्लियर वारहेड ले जा सकती है। यानि ब्रह्मोस-2K एक न्यूक्लियर मिसाइल होगी, जिसकी स्पीड 7-8 मैक की हो सकती है और इसका रेंज 1500 किलोमीटर होने की बात कही जा रही है। आपको बता दें कि ब्रह्मोस-2K प्रोग्राम को बनाने का प्रस्ताव करीब 10 साल पहले ही रखा गया था और ये प्रोजेक्ट भारत के DRDO और रूसी NPO के बीच का ज्वाइंट वेंचर है। लेकिन अब जबकि पाकिस्तान के खिलाफ ब्रह्मोस जबरदस्त कामयाब हुआ है तो अब इस प्रोग्राम को फिर से शुरू करने की कोशिश शुरू की गई है।
ब्रह्मोस-2K मिसाइल कितनी खतरनाक होगी?
ब्रह्मोस-2K मिसाइल दुनिया की सबसे ज्यादा खतरनाक मिसाइलों में से एक होगी और शायद अभी तक ऐसा कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम नहीं बना हो जो इसे इंटरसेप्ट कर सके। चीन लगातार ब्रह्मोस मिसाइल को काउंटर करने के लिए एयर डिफेंस बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक वो नाकामयाब रहा है। डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये मोस्ट एडवांस स्क्रैमजेट टेक्नोलॉजी से लैस होगी, जिसका मतलब है कि टारगेट से टकराने तक इसकी स्पीड हाइपरसोनिक होगी। इसकी स्पीड वायुमंडलीय प्रेशर की वजह से कम नहीं होगी।