


बैसाखी का पर्व हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है और यह खासतौर पर उत्तर भारत में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा हुआ है और नई फसल की कटाई की खुशी में मनाया जाता है। साथ ही, बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए धार्मिक महत्व भी रखता है, क्योंकि इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
बैसाखी, जिसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है, भारतीय समाज की संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह दिन न केवल कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सिखों के लिए एक ऐतिहासिक और धार्मिक दिन भी है। इस दिन का उत्सव कृषि, समाज, और धर्म के संगम का प्रतीक है, जहां लोग खुशी और समृद्धि की कामना करते हैं और सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं। बैसाखी का पर्व भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को प्रदर्शित करने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है।
बैसाखी की तिथि
बैसाखी हर साल मेष संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर 13 या 14 अप्रैल को होती है। इस साल यह पर्व 13 अप्रैल, 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन की महत्ता कृषि क्षेत्र में काम करने वाले किसानों के लिए बहुत अधिक है, क्योंकि यह नई फसल की बुवाई और कटाई का समय होता है। यह दिन खुशहाली और समृद्धि की ओर इशारा करता है।
बैसाखी का सांस्कृतिक महत्व
बैसाखी का पर्व भारतीय समाज में एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से कृषि प्रधान समाज के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बैसाखी के दिन नई फसल की कटाई होती है। किसानों के लिए यह दिन खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक होता है, क्योंकि उन्हें अपनी मेहनत का फल मिल रहा होता है। खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को किसान अपनी नई फसल की खुशहाली के रूप में मनाते हैं, और पारंपरिक तरीके से खेतों में काम करते हुए ढेर सारी खुशियां मनाते हैं।
बैसाखी का धार्मिक महत्व
बैसाखी का पर्व सिख धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का प्रतीक है। गुरु जी ने इस दिन सभी जातिगत भेदभावों को समाप्त कर दिया था और एकता का संदेश दिया था। यह पर्व सिखों के लिए एक नया अध्याय, एक नई शुरुआत और धार्मिक सिद्धांतों के पालन का दिन है। गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में खालसा पंथ की स्थापना ने समाज को एकजुट करने के लिए एक मजबूत कदम उठाया था।
कैसे मनाते हैं बैसाखी
बैसाखी के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, विशेष पूजा करते हैं और गुरुद्वारों में अरदास की जाती है। सिख समुदाय में इस दिन को खास धार्मिक महत्व मिलता है, क्योंकि इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं, नगर कीर्तन निकाले जाते हैं और समाज में भाईचारे का संदेश दिया जाता है। इसके अलावा, लोग इस दिन नई फसल के आगमन की खुशी में एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं।